Rajasthan Election 2023: राजस्थान में चुनावी माहौल बन गया है. हर दिन आरोप- प्रत्यारोप के दौर चल रहे हैं. अब राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (bjp leader rajendra rathore) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot ) पर जमकर हमला बोला है. आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ गांव-गांव अभियान चलाने की घोषणा भी की है.


राजेंद्र राठौड़ ने ओल्ड पेंशन स्कीम, किसानों की कर्ज माफी और लंपी में दी जाने वाली राहत पर बड़ा हमला बोला है और आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट 2023-24 के पैरा 151 में प्रदेश की सरकारी संस्थाओं यथा-विद्युत उत्पादन निगम, विद्युत प्रसारण निगम, विद्युत वितरण निगम, रीको, RTDC, RSMML, विश्वविद्यालय एवं अकादमियों आदि में OPS लागू करने की घोषणा करते हुए 1 लाख से अधिक कार्मिकों के लाभान्वित होने का दावा किया था.


अब राज्य सरकार अपना अंशदान OPS का लाभ देने से पहले कर्मचारी से 12% ब्याज सहित 15 जुलाई 2023 तक जमा करवाने की शर्त रख रही है तभी ओपीएस का लाभ दिया जायेगा, तो कर्मचारी कहां से पैसा लायेगा? उसे तो पैसा मिला ही नहीं है. यदि वह विकल्प नहीं भरता है तो उसे ओपीएस में शामिल भी नहीं किया जाएगा.


किसान कर्जमाफी पर इन बातों को सामने रखा 


राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले नवंबर 2018 में चुनावी जनसभाओं एवं जनघोषणा पत्र में सरकार बनने के 10 दिन में किसानों का संपूर्ण कर्जामाफ करने की घोषणा की थी जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है.


उन्होंने कहा सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के ऋणी किसानों का कर्जमाफ करने के लिए सुझाव देने के लिए 1 जनवरी 2019 को केबिनेट मंत्री बीडी कल्ला जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया था जिसमें परसादी लाल मीणा, लालचंद कटारिया, रघु शर्मा, गोविंद डोटासरा एवं उदयलाल आंजना सदस्य रहे. समिति की अनुशंसा के निर्णय की क्रियान्विति के लिए सहकारिता तथा आयोजना विभाग को नोडल विभाग बनाया गया. कल्ला कमेटी की दर्जनों बैठकों व दक्षिणी राज्यों के दौरे के बावजूद भी कल्ला कमेटी की रिपोर्ट का अता पता ही नहीं है.


लंपी वायरस की योजना पर बड़ा प्रहार 


वहीं राजेंद्र राठौड़ ने लंपी बिमारी में दिए जाए वाले राहत पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार ने लंपी स्कीन डिजीज से दुधारु गोवंश की मृत्यु होने पर प्रति गाय 40 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की बजटीय घोषणा की थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार तत्समय लंपी से 15.67 लाख पशुधन संक्रमित हुआ था और सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मृत्यु होना स्वीकारा था जबकि सरकार को सरपंच संघ द्वारा दिये गये ज्ञापन के अनुसार 5 लाख 13 हजार पशुधन की मृत्यु हुई थी.


उन्होंने कहा कि बजटीय घोषणा के अनुसार जो बीमा राशि 1 अप्रैल 2023 को स्वतः ही पशुपालकों के खाते में हस्तांतरित हो जानी चाहिए थी, अब सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाकर मात्र 42 हजार पशुपालकों को 40 हजार रुपये का अनुदान देकर झूठी वाहवाही लेने का प्रयास कर रही है और लाखों किसानों/पशुपालकों को घोषणानुसार राशि देने से मुकर रही है.


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