Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान में निर्वाचन आयोग (Election Commission) प्रचार प्रसार कर अधिकाधिक मतदान कराने के लिए प्रयासरत है. साथ ही आयोग नुक्कड़ नाटक, सेमिनार और कई प्रचार-प्रसार के साधनों के साथ सोशल मीडिया की मदद से मतदान करने की अपील कर रहा है, ताकी वोटिंग प्रतिशत बढाया जा सके. इस बार स्लोगन दिया गया है, पहले मतदान, बाद में जलपान. आयोग इस स्लोगन के आधार पर हर वर्ग, समाज और क्षेत्र को शामिल करते हुए मतदान का प्रतिशत बढाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इस सब के बीच चौकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं.
इन आंकड़ों के मुताबिक, शहर में समझदार समझे जाने वाले वोटर्स ग्रामीण मतदाताओं से हर बार पीछे रह जाते हैं. गांवों में 78 फीसदी से भी अधिक मतदान प्रतिशत पहुंच रहा है, जबकी शहर में 72 से 76 फीसदी वोटिंग हो रही है. बात करें कोटा (Kota) की छह विधानसभाओं की तो यहां साल 2018 में सबसेअधिक मतदान रामगंजमंडी (Ramganj Mandi) में हुआ, जबकी सबसे कम कोटा दक्षिण विधानसभा में हुआ. रामगंजमंडी विधानसभा में 78.47 फीसदी मतदान हुआ.
2018 में कोटा दक्षिण में 72.37 मतदान
वहीं साल 2018 में कोटा दक्षिण में 72.37 मतदान हुआ. इसी तरह कोटा उत्तर में 74.39, लाडपुरा विधानसभा में 76.19, सांगोद विधानसभा में 78.17, जबकी पीपल्दा विधानसभा में 73.11 फीसदी वोटिंग हुई. वहीं जीत के अंतर की बात करें तो सबसे अधिक जीत लाडपुरा विधानसभा में हुई. यहां बीजेपी को 11.6 फीसदी से जीत मिली. इसी तरह पीपल्दा में कांग्रेस को 10.48 फीसदी वोटों से जीत मिली. सबसे कम जीत कांग्रेस को सांगोद विधानसभा से मिली. यहां कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 1.22 फीसदी वोट से जीत मिली. वहीं कोटा दक्षिण में बीजेपी को 4.47 फीसदी वोटों से जीत मिली.
कोटा उत्तर में कांग्रेस को 10.24 फीसदी से जीत मिली. वहीं रामगंजमंडी से बीजेपी को 7.39 फीसदी वोटों से जीत मिली. बता दें कोटा की रामगंजमंडी विधानसभा एससी सीट है. यहां अधिकांश का इलाका ग्रामीण हैं. दूसरी ओर कोटा दक्षिण सामान्य सीट है. यहां पूरा का पूरा इलाका शहरी क्षेत्र का है. यही नहीं पॉश इलाका भी इस विधानसभा में है. उसके बाद भी यहां वोटिंग प्रतिशत सबसे कम रहता है. इससे साफ जाहिर है कि पढ़े लिखे से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोग मतदान करते हैं.