Rajasthan Assembly Election 2023 News: राजस्थान विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के एलान के बाद कई दलों के नेताओं ने बागी तेवर अख्तियार कर लिया है. इन बागी उम्मीदवारों ने दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस-बीजेपी का सियासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कई बागी नेता ऐसे हैं जो दोनों ही दलों में काफी सीनियर हैं. सवाई माधोपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार और राज्यसभा सांसद किरोणी लाल मीणा को बागी नेताओं से कल भावनात्मक अपील करनी पड़ गई. इस दौरान वह अपनी उम्र का तकाजा बताकार काफी इमोशन हो गए. इतना ही नहीं उन्होंने अपना सियासी दांव भी खेला. 


इस तरह कांग्रेस विधायक दानिश अबरार के सामने पूर्व विधायक अलाउदीन आजाद के बेटे अजीज आजाद भी चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर बागियों ने कांग्रेस-बीजेपी का पूरा खेल बिगाड़ दिया है. बीजेपी से बगावत कर यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रही आशा मीणा पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. आशा मीणा पहले भी बीजेपी से चुनाव लड़ चुकी हैं. उन्हें पिछली बार 60 हजार 456 मत मिले थे. वहीं किरोड़ी लाल मीणा भी दो बार सवाई माधोपुर सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, उन्हें दोनों बार हार का सामना करना पड़ा था. यही वजह है कि जीत के लिए उम्मीदवार सारे हथकंडे अपना रहे हैं. 


कुछ ऐसा रहा है अब तक का रिकॉर्ड 
सवाई माधोपुर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से दानिश अबरार ने जीत दर्ज की थी. दानिश को 85 हजार 655 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी रहीं आशा मीणा को 60 हजार 456 मत मिले थे. वह कांग्रेस उम्मीदवार से लगभग 25 हजार वोटों के अंतर से हार गई थीं. इस सीट पर साल 2013 में बीजेपी ने दीया कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया था. दिया कुमारी ने उस चुनाव में कुल 57 हजार 384 वोट हासिल किया था, जबकि उनके विरोधी रहे एनपीईपी उम्मीदवार किरोणीलाल मीणा को 49 हजार 852 वोट मिले थे. किरोणीलाल मीणा को बीजेपी उम्मीदवार से साढ़े सात हजार के वोटों के अंतर से हार मिली थी. 


कांग्रेस-बीजेपी उम्मीदवारों का रहा है वर्चस्व
सवाई माधोपुर सीट से साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अलाउद्दीन आजाद ने निर्दलीय प्रत्याशी किरोड़ीलाल मीणा को करीब 3 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी. साल 2008 से पहले की बात करें तो, 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नाथू सिंह गुर्जर को 53 हजार 661 मिले. नाथू सिंह गुर्जर ने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. चंद्रभान को 6 हजार से अधिक वोटों से हराया था. साल 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस डॉ. चंद्रभान को 47 हजार 397 मत मिले थे. साल 1998 में कांग्रेस के चंद्रभान को 41 हजार 925 और बीजेपी के नाथू सिंह गुर्जर को 37 हजार 465 वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रभान को चार हजार से अधिक वोटों से जीत मिली थी. 


क्या है जातिगत समीकरण?
सवाई माधोपुर में लगभग साढ़े तीन लाख आबादी है. इस सीट पर मुख्य रुप से गुर्जर, मुसलमान और मीणा मतदाताओं का प्रभाव रहा है. इस बार जातिगत समीकरण कुछ अलग हैं. यहां के गुर्जर मतदाताओं पर सचिन पायलट का सियासी कद का प्रभाव पड़ने की आसार जताई जा रही है. हालांकि किरोणी लाल मीणा ने सचिन पायलट से अपने संबंध को बेहतर बताए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या इस बार गुर्जर मतदाताओं की संख्या बंट जाएगी?