Rajasthan Elections 2023: कठपुतली को चलाना, उसके द्वारा संदेश दिया जाना और इस लुप्त होती कला को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. ये कठपुतलियां बोल रही हैं पर्यावरण संरक्षण के बारे में तो कभी स्वच्छता के बारे में और कभी शिक्षा की अलख जगा रही हैं. लेकिन अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो ये कठपुतलियां मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का प्रयास कर रही हैं. गांव-गांव में कठपुतलियों के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि लोग मनोरंजन के माध्यम से अपने अधिकार को जानें-समझें. 


कठपुतली बोल रही है कि आओ गांव वालो, अपने अधिकार को जानो, जीवन में एक बार काम छोड़ अधिकार को जानो और मतदाता सूची में नाम जुड़ाओ और एक सशक्त सरकार बनाओ. कीर्तांशम् दी ग्रुप ऑफ सोशल अवेयरनेस संस्थान की ओर से दूर-दराज के गांव में मतदाता जागरूकता से जुड़े निर्वाचन विभाग के संदेशों को कठपुतलियों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. 


शत प्रतिशत युवा मतदाता सूची में नाम जुड़वाएं
संस्थान की अध्यक्ष स्नेहा श्रीवास्तव ने बताया कि कठपुतलियों के माध्यम से दूर-दराज के गांव में निवास करने वाले ग्रामीणों को आगामी 1 अक्टूबर को 18 वर्ष की आयु पार करने वाले युवक व युवतियों के नाम मतदाता सूची में जुड़वाने का संदेश दिया जा रहा है. जिससे शत प्रतिशत युवा मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सके और कोई भी युवा सूची में अपना नाम जुड़वाने से वंचित ना रहे. 


संस्थान द्वारा बूंदी जिले के लबान क्षेत्र व कोटा जिले के गिरधरपुरा व बंजारा बस्ती में कठपुतलियों द्वारा मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का आम जन को संदेश दिया गया. आगामी समय में मतदाता जागरूकता संबंधित वातावरण तैयार करने के जज्बे के चलते दिव्यांग, वृद्ध एवं जागरुक ट्रांसजेंडर मतदाताओं के माध्यम से गतिविधियां आयोजित कर शत प्रतिशत मतदान के लिए  संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा.


नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सावन के माह में सावन दे रहा संदेश 
मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के तहत चलाए जा रहे आवाज दो बने नवमतदाता कार्यक्रम के तहत बस्तियों एवं दूर-दराज से गांव में मतदाता जागरूकता का संदेश दिया जा रहा है. निर्वाचन विभाग के नव दिशा निर्देशों को लोगों तक पहुंचा कर उन्हें जागृत किया जा रहा है. सावन मास में जागरूकता के लिए सावन बोले तो नव मतदाताओं की बयार, शीर्षक आधारित नुक्कड़ नाटक का मंचन किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त जंगल से सटे एवं दूर-दराज के गांवों में सहज व सरल तथा हाडौती भाषा में काठ की पुतलियों के माध्यम से तैयार कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी जा रही है. 


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