Rajasthan Elections 2023: राजस्थान के कोटा जिले की राजनीति में एक नया उबाल आया है. धुर विरोधी माने जाने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल की देर रात मुलाकात हुई और इस दौरान बंद कमरे में गहन चर्चा भी हुई. इस चर्चा के बाद कोटा सहित राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा हो गई. जो कभी एक आंख नहीं सुहाते थे उनका मिलना सभी को हैरत में डाल रहा है. लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर बाहर आए कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि उनकी चर्चा हुई है. वह हमारे सांसद हैं.
वसुंधरा खेमे से आते हैं प्रहलाद गुंजल
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भले ही कितनी भी सूचियां जारी कर दी हों, लेकिन कोटा संभाग की 17 विधानसभाओं में कई जगह अभी भी पेच फंसा हुआ है. ऐसे ही सबसे बड़ा पेच कोटा उत्तर विधानसभा में देखने को मिला, जब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का जहां टिकट फाइनल नहीं हुआ, वहीं कोटा उत्तर से पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजन का टिकट भी फाइनल नहीं हुआ. ऐसे में धुर विरोधी माने जाने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल का कल रात को अचानक मिलना हुआ.
इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियां में काफी हलचल बढ़ा दी. ये दोनों ही एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं और चुनाव हराने तक में उनकी भूमिका सामने आ चुकी है. लेकिन इस बार कोटा उत्तर विधानसभा जो कि लोकसभा कोटा बूंदी क्षेत्र में आती है, ऐसे में सांसद ओम बिरला से प्रहलाद गुंजल का मिलना कहीं न कहीं नई राजनीति को जन्म देता है. गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष की बिना सहमति के उन्हें टिकट मिल पाना मुश्किल हो रहा था.
'हमारे सांसद हैं, राजनीतिक चर्चा हुई'
हालांकि इस मामले में कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं कि केवल इतना कहा कि वह हमारे सम्माननीय सांसद हैं और उनसे चुनावी चर्चा हुई है. टिकट मामले को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि पार्टी आदेश देगी तो चुनाव लड़ूंगा. उसके बाद वह कार में बैठकर निकल गए.
गुंजल को नहीं मिल रहा था टिकट
कोटा उत्तर के पूर्व विधायक सालों से कोटा उत्तर विधानसभा से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और उनके विकल्प के रूप में पार्टी के पास कोई दूसरा नाम नहीं है, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष की स्वीकृति के बिना उनको टिकट मिल पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में पार्टी ने ही ऐसा रास्ता निकाला, जिससे दोनों एक हो जाएं और पार्टी मजबूत हो, उसी के तहत उनका मिलन हुआ है.