Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर तैयारी में जुटी सभी पार्टियां प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर रही हैं. राजस्थान की कुछ विधानसभा सीट ऐसी हैं, जिन पर सभी की नजर रहती है. ऐसी ही डीग जिले की कुम्हेर विधानसभा सीट भी हॉट सीट मानी जाती है. कुम्हेर विधानसभा सीट पर भरतपुर के कद्दावर नेता माने जाने वाले विश्वेन्द्र सिंह चुनाव लड़ते हैं. कुम्हेर सीट पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह और भारतीय जनता पार्टी द्वारा डॉ. शैलेष सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया गया है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी विश्वेन्द्र सिंह और डॉ. शैलेष सिंह के बीच ही मुकाबला हुआ था. तब कांग्रेस पार्टी के विश्वेन्द्र सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शैलेष सिंह को 8 हजार 218 वोटों से हराया था.

    


कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी विश्वेंन्द्र सिंह पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग के कद्दावर नेता माने जाते हैं. भरतपुर जिला जाट बाहुल्य क्षेत्र है. रियासत काल में भी भरतपुर जाट रियासत रही है. विश्वेन्द्र सिंह को सिर्फ जाट समुदाय ही नहीं बल्कि अन्य बिरादरी के लोग वही मान सम्मान देते हैं जो रियासत का में राजा-महाराजाओं को दिया जाता था. विश्वेन्द्र सिंह को राजनीति का लंबा अनुभव है. विश्वेन्द्र सिंह ने साल 1988 में राजनीतिक पारी का आगाज किया और भरतपुर जिला प्रमुख बने. उसके बाद साल 1989 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने.


वीपी सिंह की सरकार ने 1990 में मंडल आयोग की सिफारिश लागू की थी, जिसमें 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था. उस समय विश्वेन्द्र सिंह ने लोकसभा की सदस्यस्ता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद साल 1993 में विश्वेन्द्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर नदबई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. विश्वेन्द्र सिंह ने साल 1999 में फिर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और जीते. अगले लोकसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की और लोकसभा पहुंचे.


साल 2009 में भरतपुर की लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व कर दिया गया था. वहीं साल 2008 के विधानसभा चुनाव में डीग विधानसभा सीट पर उन्होंने बीजेपी से टिकट मांगा लेकिन पार्टी ने डॉ. दिगंबर सिंह को प्रत्याशी बना दिया. बीजेपी से टिकट न मिलने पर विश्वेन्द्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इसबार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. विश्वेन्द्र सिंह ने 2013 के विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर कुम्हेर से ही ताल ठोकी और बीजेपी प्रत्याशी दिगंबर सिंह को लगभग 11 हजार वोटों से हरा कर बदला लिया.


डॉ. दिगंबर सिंह का 2017 में देहांत हो गया और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दिगम्बर सिंह के बेटे डॉ. शैलेष सिंह को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान उतारा. इस चुनाव को भी कांग्रेस के टिकट पर उतरे विश्वेन्द्र सिंह ने लगभग 8 हजार से ज्यादा वोटों से जीत लिया. साल 2018 के चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया. विश्वेन्द्र सिंह 3 बार सांसद और 3 बार विधायक चुने गए हैं. 


अब एक बार फिर राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है. बीजेपी ने इसबार फिर डॉ.शैलेष सिंह पर ही कुम्हेर में भरोसा जताया है. डॉ. शैलेष सिंह पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे डॉ. दिगंबर सिंह के बेटे हैं. MBBS डॉक्टर शैलेष दौसा में इंजीनियरिंग कॉलेज और भरतपुर में नर्सिंग कॉलेज चलाते हैं. शैलेष सिंह 2008 से ही बीजेपी से जुड़े हुए हैं. 2018 में उन्होंने पहली बार कुम्हेर से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके. 


 डीग को जिला बनाने का फायदा मिलेगा?        


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में 19 नए जिले बनाए हैं, इनमें डीग भी शामिल है. डीग को जिला बनाने की पुरानी मांग थी, जिसे विश्वेन्द्र सिंह के कहने पर मुख्यमंत्री ने पूरा किया है. डीग को नया जिला बनाने से कुम्हेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को फायदा जरूर मिलेगा. डीग की एक और समस्या का समाधान गहलोत सरकार ने पीने के लिए चंबल का पानी पहुंचाकर किया है. कांग्रेस प्रत्याशी विश्वेन्द्र सिंह और भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी डॉ. शैलेष सिंह के बीच एक बार फिर चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा अब देखने वाली बात यह होगी की जनता किसे अपना विधायक बनाकर कर विधानसभा में भेजती है.  


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