Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में चुनाव लड़ने के लिए बसपा (BSP) ने बड़ा प्लान बनाया है. इसके लिए बसपा सुप्रीमो और पूर्व सीएम मायावती (BSP Chief Mayawati) सितंबर में राजस्थान आ सकती हैं. उन्होंने आने से पहले अपनी पूरी टीम को एक्टिव कर दिया है. आकाश आनंद, प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम और बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने गांव-गांव जाकर कई जिलों में लगातार काम किया है. कल चूरू के सरदार शहर में उनका बड़ा कार्यक्रम था. 'बसपा चली गांव अभियान' को पूरा किया गया. बसपा अभी उन्हीं क्षेत्रों में काम कर रही है, जहां पर उसका जनाधार है. उसे जहां पर बेहतर करने की उम्मीद है. बसपा सुप्रीमो मायावती एक तरफ बीजेपी (BJP) को लेकर बहुत आक्राम नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ वो कांग्रेस (Congress) पर हमलावर हैं. वर्ष 2008 और 2018 में बसपा के विधायक अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) सरकार में शामिल हो गए थे. अब इस बार बसपा की प्लानिंग बेहद अलग है.
यहां-यहां हो चुका है अभियान
बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान् सिंह बाबा ने बताया कि अभी छह जनसभाएं हुई हैं. प्रभारी रामजी गौतम के सामने ही 28 जून को कोटा, 29 चितौड़गढ़, 30 को भीलवाड़ा, 1 जुलाई को अजमेर, 2 जुलाई को पाली के सुमेरपुर और 3 जुलाई को चूरू के सरदारशहर में जनसभा में हुई. जून के अंत से पार्टी लगातार दौरे और कार्यक्रम कर रही है. अध्यक्ष का कहना है अभी गांव में कार्यक्रम कर रहे हैं. हमारे लोग पूरी तरह से सक्रिय हैं. उन्हें हर मोर्चे पर लगा दिया गया है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में भले ही अब ज्यादा समय न बचा हो लेकिन बसपा की गति यहां पर जुलाई में और तेज हो जाएगी. 15 जुलाई के बाद बसपा के आकाश आंनद यहां पर आएंगे. युवाओं को साधने के लिए उन्हें मैदान में उतारा जा रहा है. बसपा इसके बाद सितंबर में बसपा सुप्रीमो मायवाती के दौरे कराने की तैयारी में है. उसके लिए पूरी टीम लगी हुई है.
बसपा का यहां पर रिकॉर्ड
वर्ष 2018 में राजेन्द्र गुढा (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह मीणा (करोली), संदीप यादव (तिजारा) और विधायक दीपचंद खेरिया बसपा से विधायक बने थे. वहीं वर्ष 1998 में राजस्थान में बसपा के दो विधायक चुनाव जीते थे. 2003 में बसपा ने फिर दो सीटें जीतीं थीं. वर्ष 2008 में बसपा के छह विधायक जीते और 2013 बसपा के तीन विधायक जीत कर आए थे. वहीं 2018 में बसपा के छह विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे. इसलिए बसपा अपने पुराने रिकॉर्ड पर बने रहने का प्रयास कर रही है.
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