Udaipur News: राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. राजनीतिक पार्टियां चुनाव में जातिगत समीकरण पर ज्यादातर निर्भर रहती हैं. इन्हीं के आधार पर उनके पदाधिकारी नियुक्त होते हैं और प्रत्याशी भी घोषित किए जाते हैं. लेकिन राजस्थान का एक ऐसा क्षेत्र है जहां की जाति पूरे राजस्थान की राजनीति में हमेशा छाई रहती है. पीएम से लेकर सीएम और कई मंत्री यहां दौरा भी कर चुके हैं. यह है उदयपुर संभाग का जनजातीय क्षेत्र. यहां इनकी जनसंख्या इतनी है कि सरकार बदलने की ताकत रखती है. यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों की तरफ से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.


सरकार बनाने या बिगाड़ने की ताकत


उदयपुर संभाग यानी मेवाड़ में 28 विधानसभा सीटें हैं. यह सीटें सरकार बनाने और बिगड़ने की ताकत रखती है. यहां की 17 सीटें आरक्षित है, जिनमे आदिवासी का सीधा प्रभुत्व है. वहीं 11 सीटों पर करीब 20- 40% है. उदयपुर संभाग के शहरी विधानसभा सीटों को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी पर बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोग रहते है. प्रतिशत पर बात की तो डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर, यहां 60% से लेकर 76% जनसंख्या जनजातीय समुदाय की है. जनसंख्या भी लाखों में.


इतने क्षेत्र में फैला है जनजातीय क्षेत्र


राज्य के दक्षिण में स्थित 8 जिलों की 49 तहसीलों के 5696 ग्रामों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की जनसंख्या 64.64 लाख है जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.52 लाख है, जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत है. 8 जिलों में से बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ के सम्पूर्ण जिले, उदयपुर, सिरोही, राजसमन्द, चित्तौड़गढ, पाली जिले के आंशिक क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है.


यह है 17 विधानसभा सीटें


प्रतापगढ़, बागीदौरा, बांसवाड़ा, घाटोल, डूंगरपुर, खेरवाड़ा, धरियावाद, गढ़ी, आसपुर, सलूंबर, उदयपुर ग्रामीण, झाड़ौल, गोगुंदा, सागवाड़ा, चौरासी, कुशलगढ़.


आदिवासियों की जनसंख्या


(जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अमाधार पर)


1. बांसवाड़ा - कुल जनसंख्या 1797485 :: जनजातीय 1372999 :: 76.38%


2. डूंगरपुर जिला - कुल जनसंख्या 1388552 :: जनजातीय 983437 :: 70.82


3. प्रतापगढ़ जिला - कुल जनसंख्या 867848 :: जनजातीय 550427 :: 63.42%


4. उदयपुर जिला - कुल जनसंखा 1990691 :: जनजातीय 1378012 :: 69.21%


चित्तौड़गढ़ और राजसमंद में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या कम होने के कारण काफी कम एरिया है.