Rajasthan Assembly News: अयोध्या में राम मंदिर बनने और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिस प्रकार का वहां भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है. इसे देखते हुए विधानसभा में उदयपुर में भी धार्मिक कॉरिडोर का मुद्दा उठा है. उदयपुर शहर विधानसभा से विधायक ताराचंद जैन ने यह मुद्दा उठाया. यहीं नहीं केंद्र के बजट में भी आध्यात्मिक पर्यटन को एक अवसर बताया है और बढ़ावा दिया गया है. ऐसे में उदयपुर की बात करें तो यहां ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है जहां अलग अलग राज्यों से लाखों की संख्या में पर्यटक तो आते ही है, दिग्गज राजनेता भी शुभ काम की शुरुआत यहीं से करते हैं. ऐसे में इनका धार्मिक कॉरिडोर बनाने की बात उठी है. जानिए उदयपुर के किन मंदिरों को कॉरिडोर से जोड़ने की बात की जा रही है. 


चित्तौड़गढ़ स्थिति सांवलिया सेठ मंदिर उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के मांडरिया स्थिति सांवलिया सेठ मंदिर है. यहां पड़ोसी राज्यों से लाखों की संख्या में भक्त तो आते ही है. साथ ही हर माह यहां का खुलने वाला भंडारा भी प्रसिद्ध है. यहां हर माह करोड़ों रुपए आते हैं. राजसमंद स्थिति श्री नाथ जी मंदिर उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी प्रभु का मंदिर है. इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. .यहां सबसे ज्यादा गुजरात के श्रद्धालु आते हैं. खास बात यह है के देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के परिवार का हर कार्य यहीं से शुरू होता है. चाहे वह पारिवारिक हो या व्यापार से जुड़ा.


लव -कुश से जुड़ी हुई है कहानियां
बांसवाड़ा स्थिति त्रिपुरा सुंदरी बांसवाड़ा शहर में स्थिति है मां त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर. यहां भी मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के भक्त जाते हैं. खास बात यह है कि राजनेता यहां जरूर भोग लगाने आते हैं. जैसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तो कोई भी नया काम करने जाती हैं तो वह यहां जरूर आतीं है. प्रतापगढ़ स्थिति सीता माता मंदिर प्रतापगढ़ जिले में सीतामाता मंदिर है और यहां सीता माता अभयारण्य भी है. यहां पर्यटक ज्यादा नहीं पहुंच पाते है लेकिन यहां रामायण के पात्र माता सीता, लव -कुश सहित अन्य की कहानियां जुड़ी हुई है. साथ ही अभयारण्य में सबसे घना जंगल भी है, जहां सफारी शुरू हो सकती है. 


सबसे बड़े आस्था का धाम है आदिवासियों के लिए
बेणेश्वर और मानगढ़ धाम डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले में स्थित बेणेश्वर और मानगढ़ धाम राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों के लिए सबसे बड़े आस्था का धाम है. यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. यहीं नहीं, कहा जाता है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़ा नरसंहार हुआ था. इनके अलावा द्वारकाधीश, मेवाड़ के एकलिंग जी, चारभुजा नाथ, अंबिका मंदिर, सास-बहु मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थल है. इनका एक सर्किट बने तो यहां धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय उद्योगों के लिए जबरदस्त अवसर है.


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