Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में सोमवार को पारित एक संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह मणिपुर में शांति स्थापना के लिए सभी जरूरी कदम अविलंब उठाए. इसके साथ ही सरकार की ओर से पेश एक अन्य संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की गई.
मणिपुर के बारे में पहला संकल्प पत्र संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने रखा. इसमें कहा गया है कि भारत देश राज्यों का संघ है. सभी राज्यों में परस्पर सहयोग की भावना से ही देश की प्रगति होती है. किसी भी राज्य में बनी हुई विपरीत परिस्थितियां पूरे देश पर असर डालती हैं.
इसके अनुसार, "राजस्थान विधानसभा मणिपुर राज्य में हो रहे हृदयविदारक अपराधों एवं विभिन्न वर्गों के बीच चल रहे संघर्ष की वजह से बिगड़ी कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर अत्यधिक चिंतित है. पिछली कुछ महीनों से मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है एवं हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. केन्द्र सरकार एवं मणिपुर राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेशों, निर्देशों के बाद भी हिंसा रुकती हुई नजर नहीं आ रही है."
संकल्प पत्र में कहा गया है, "राजस्थान विधानसभा केन्द्र सरकार से आग्रह करती है कि अविलंब वो सभी जरूरी कदम उठाए जिससे देशहित में वहां पर शांति स्थापित हो सके." इसके मुताबिक, "राजस्थान विधानसभा मणिपुर की जनता से अपील करती है कि पारस्परिक सौहार्द बनाए रखें एवं शांति स्थापित करने की ओर आगे बढ़ें. इन विषम परिस्थितियों में पूरे प्रदेश की संवेदनाएं मणिपुर की जनता के साथ हैं."
'ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाए'
ईआरसीपी के बारे में संकल्प विचार जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने पेश किया. इसके अनुसार पूर्वी राजस्थान के लिए सिंचाई एवं पेयजल की निरन्तर उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए ईआरसीपी की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए यह सदन केन्द्र सरकार से आग्रह करता है कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाए.
'लाई जाए कृषक ऋण माफी योजना'
वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश द्वारा रखे गए संकल्प विचार में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि राष्ट्रीयकृत एवं व्यावसायिक बैंकों में ऋणी किसानों हेतु कृषक ऋण माफी योजना लाई जाए. एक अन्य संकल्प आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री गोविंद राम ने रखा जिसमें केंद्र सरकार से 2011 से 2015 की अवधि के बीच आयोजित की गई सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने तथा अब देश में जातिगत जनगणना कराने का आग्रह किया गया है.
सरकार की ओर से ये संकल्प उस समय रखे व पारित किए गए जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायक 'लाल डायरी' प्रकरण को लेकर अध्यक्ष के आसन के सामने नारेबाजी कर रहे थे.
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