Rajasthan News: राजस्थान के सरकारी अस्पताल (Rajasthan government hospital) में उपचार या जांच के लिए आने वाले मरीजों को मशीन खराब होने का बहाना अब कम सुनाई देगा. प्रदेश सरकार (Rajasthan government) ने चिकित्सा उपकरणों की देखरेख के लिए नई व्यवस्था लागू कर दी है. इस नई व्यवस्था के तहत अस्पतालों में लगे सभी उपकरणों की बारकोडिंग की जाएगी. हर मशीन पर 8 अंक वाला बारकोड चस्पा होगा जिसमें कंपनी का नाम उसका पता और मशीन को ठीक करने वाले इंजीनियर का नाम होगा. मशीनों को ठीक करने वाली कंपनी को बारकोड भेजते ही संबंधित मशीन की कुंडली खुल जाएगी और नई व्यवस्था के तहत 24 घंटे के भीतर मशीनें ठीक हो सकेंगी. 


वर्तमान में राजस्थान के कई अस्पतालों में आए दिन जांच लैब सहित कई मशीनें खराब होकर पड़ी हुई हैं. ऐसे में सरकार ने फैसला लेते हुए उन सभी मशीनों को बारकोडिंग के सिस्टम से जोड़कर ऑनलाइन कर दिया है ताकि कोई भी मशीन खराब हो तो संबंधित इंजीनियर से इसे ठीक कराकर मरीजों को राहत दी जा सके. 


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मेंटेनेंस के लिए होंगे टोल फ्री नम्बर
इस नई व्यवस्था के तहत हर मशीन को आठ अंकों का बार कोड दिया जाएगा. हर अस्पताल में मशीन का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी के कॉल सेंटर का टोल फ्री नंबर होगा. अस्पताल प्रशासन को मशीन खराब होते ही इस नंबर पर सूचना देना होगी. सूचना देने के 25 घंटे में इंजीनियर को मौके पर जाकर मशीन की जांच करनी होगी. देरी करने पर रोजाना पांच सौ रुपए का जुर्माना देने का प्रावधान है. यही नहीं इस व्यवस्था के बाद बॉयोमेडिकल इंजीनियर मशीन सुधार देंगे. गौरतलब है कि पहले केटीपीएल कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन अब यह काम सरकार के स्तर पर होगा जबकि मरम्मत का काम निजी क्षेत्र से होगा.


खराब होने पर डाल देते हैं कबाड़ में 
सरकारी अस्पतालों में मशीन खराब होने के बाद कबाड़ में डाल दी जाती है. जो मशीनें करोड़ों की की लागत की होती थी अस्पताल प्रशासन के पास कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते वह इसे कबाड़ में फेंक देते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, जिससे न केवल मरीजों को लौटाना पड़ता है वहीं सरकार को मशीन की राशि का नुकसान झेलना पड़ता है. लेकिन नए सिस्टम के अनुसार सूचना देने के बाद इंजीनियर के नहीं आने पर अलग- अलग जुर्माना का प्रावधान है. 


सॉफ्टवेयर पर होगी हर मशीन की जानकारी
प्रदेश भर के जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केन्द्रों पर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हर तरह की मशीन की बारकोडिंग की जा रही है. मशीन कब खरीदी गई, किस काम आती है, कौन-सी कंपनी की है, जैसी तमाम जानकारियां जुटाकर सॉफ्टवेयर में डाली जा रही हैं. हर मशीन को आठ अंकों का बारकोड दिया गया है. कॉल सेंटर पर फोन कर सिर्फ यह कोड बताते ही मशीन की पूरी कुंडली खुल जाएगी और मशीन सही करने के लिए इंजीनियर दौड़ पड़ेंगे. 


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