Rajasthan News: कहते है कि कुछ करने का जज्बा और लगन हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है. ऐसा ही जज्बा रखती है राजस्थान के बाड़मेर जिले की लीला कंवर. लीला कंवर मात्र 8 साल की थी तब करंट की चपेट के आने से उसके दोनों हाथ काटने पड़े. परिजनों ने इलाज करवाया और उसके बाद लीला घर में ही समय गुजारने लगी लेकिन पढ़ने लिखने का जज्बा इतना कि लीला ने अपने पैरों से लिखने का प्रयास शुरू किया. जिसका परिणाम लीला को देखने को मिला और लीला कंवर पैरों से लिखने लगीं. लीला की लगन और जज्बे को देखकर निजी स्कूल में उसका दाखिला करवाया गया. हालिया दिनों में लीला ने पैरों से लिखकर 12वीं का एग्जाम दिया है और अब रिजल्ट का इंतजार है.


कमांडर बनने की लालसा
लीला कॉलेज जाकर आगे की पढ़ाई करना चाहती है और एक काबिल ऑफिसर बनना चाहती है. लेकिन लीला किसान परिवार से आती है और घर के सदस्य खेती किसानी से जुड़े हैं तो इतनी आमदनी भी नहीं होती और ना ही परिवार इतना सक्षम है कि लीला को आगे पढ़ाया जाए. लीला के परिवार में 5 भाई बहन, भाभी और माता पिता है. लीला बताती हैं कि हादसे ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था. पैरों से लिखना सीखा और फिर से सफर शुरू किया जिंदगी का. लीला का कहना है कि वह आर्मी की कमांडर, पुलिस इंस्पेक्टर बनना चाहती थी, लेकिन अब हाथ नहीं है तो उसके सपने चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं और परिवार भी इतना सक्षम नहीं कि आगे की पढ़ाई की जा सके.


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बैंक ने जमा राशि देने से किया इनकार
दरअसल, लीला जब चौथी क्लास में थी तो वह अपने खेत में बच्चों के साथ खेल रही थी. इस दौरान विद्युत पोल के तार की चपेट में आ गई. जिसके बाद उसके दोनों हाथ काटने पड़े. डिस्कॉम ने इस हादसे के बाद लीला को साढ़े चार लाख का मुआवजा भी दिया. निजी बैंक के एजेंट के झांसे में आकर लीला के पिता भूरसिंह ने मुआवजे राशि नवजीवन क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी नामक निजी बैंक में डाली थी लेकिन बैंक डूब गई और बैंक के एजेंट ने जमा राशि देने से साफ इनकार कर दिया.


मुख्य न्यायाधीश से लगाई न्याय की गुहार
अब लीला की पढ़ाई अधर में है और पूरा परिवार दिव्यांग लीला कंवर के भविष्य और आगे की पढ़ाई को लेकर बेहद चिंतित है. लीला के माता पिता और परिजनों की सरकार से दरख्वास्त है कि सरकार उसकी किसी तरह का मुआवजा दे या ना दे लेकिन काम से कम निजी बैंक से उसे जमा राशि तो दिलवाए. इसको लेकर दिव्यांग लीला ने हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश को भी अपने पैरों से पत्र लिखकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है.


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