Barna Tree: राजस्थान का बरना ट्री, एक पेड़ जो बीमारियों में करता है टॉनिक का काम, गर्मियों में भी हराभरा रहता है, जानें
Barna Tree Uses: पर्यावरण प्रेमी जेपी श्रीमाली व सौरभ राठौड़ के अनुसार बरना वृक्ष भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है. पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई बीमारियों में किया जाता है.
Udaipur News : प्रकृति ने हमें जैव विविधताओं से भरा संसार दिया है. कई बार पढ़ते हैं कि जंगल में कई पेड़ (Tree) हैं, जो औषधियों के लिए काम मे आते हैं. लेकिन, हम उनकी पहचान नहीं कर पाते. आज एक ऐसे ही पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्मियों में हरा भरा रहता हैं और भारत (India) का मूल निवासी है. यह दिल की बीमारियों में टॉनिक का काम करता है. यह है बरना ट्री (Barna Tree). समृद्ध सांस्कृतिक महत्व, विविध उपयोगों और कठोर प्रकृति के लिए सबसे अलग माने जाने वाले बरना ट्री को क्रेटविया रिलिजियोसा या गार्लिक पीयर ट्री के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसा होता है बरना ट्री
पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि बरना वृक्ष एक मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष है. इसकी औसत ऊंचाई 10 से 20 मीटर तक होती है. यह एक सीधे, बेलनाकार ट्रंक और घने पत्तों के साथ व्यापक मुकुट की विशेषता है. पेड़ की पत्तियां गहरे हरे रंग की और चमकदार होती हैं. इसकी छाल हल्के भूरे रंग की और खुरदरी बनावट वाली होती है.
बरना वृक्ष के फूल छोटे और पीले रंग के होते हैं. ये बसंत के मौसम में गुच्छों में खिलते हैं. पेड़ एक छोटा फल पैदा करता है, जो हरे रंग का होता है. इस फल में कठोर लकड़ी की खोल होती है. इसके फल में लहसुन जैसी गंध होती है. इसलिए इस पेड़ को लहसुन नाशपाती के पेड़ के रूप में भी जाना जाता है.
पेड़ के यह हैं फायदे
पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार बरना वृक्ष सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है. यह हिंदू धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है. इसकी पत्तियों और फूलों का उपयोग विभिन्न धार्मिक समारोहों और अनुष्ठानों में किया जाता है. पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. पेड़ की छाल पेचिश और दस्त के लिए उपाय के रूप में उपयोग की जाती है, जबकि फल लीवर और हृदय के लिए टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है. पेड़ की पत्तियों का उपयोग त्वचा रोगों और कीड़ों के काटने के इलाज के लिए किया जाता है.
और भी हैं उपयोग
विशेषज्ञों के अनुसार, सांस्कृतिक और औषधीय महत्व के अलावा बरना वृक्ष के कई अन्य उपयोग हैं. पेड़ की लकड़ी कठोर और टिकाऊ होती है. इसका उपयोग फर्नीचर, कृषि उपकरण और विभिन्न घरेलू सामान बनाने के लिए किया जाता है. पेड़ की पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है. फलों का उपयोग पक्षियों और छोटे जानवरों के भोजन के स्रोत के रूप में किया जाता है. पेड़ का उपयोग मिट्टी के संरक्षण के लिए भी किया जाता है. यह उस मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने के लिए जाना जाता है, जिसमें यह बढ़ता है.
बरना वृक्ष की पर्यावरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका है.
यह एक कठोर पौधा है, जिसे कम पानी की आवश्यकता होती है. यह उच्च तापमान को सहन कर सकता है. यह छाया का भी एक अच्छा स्रोत है और मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद करता है. यह पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है. यह विभिन्न पक्षियों और जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है.
डाक टिकट भी हो चुका है जारी
क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बेहतर बनाने में मददगार इस पेड़ पर 1981 में भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट भी जारी किया था. इसमें इसके सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व पर प्रकाश डाला गया. राज्य सरकार द्वारा भी इसे दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा गया है.
यह भी पढ़ें :Rajasthan Police: जोधपुर रेंज पुलिस की बड़ी कार्रवाई, ऑपरेशन सुदर्शन चक्र के तहत पकड़े गए 1771 अपराधी