Jodhpur News: मेहरानगढ़ फोर्ट से 'रणभूमि श्रद्धांजलि' यात्रा की शुरुआत, 1971 युद्ध की कहानी रियल हीरो की जुबानी
रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा के तहत भारत व पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में जैसलमेर व बाड़मेर में कई जगह लड़ी लड़ाइयों की सही जानकारी युवाओं तक पहुंचाना है.
Rajasthan News: इंडियन आर्मी व राजस्थान (Rajasthan) सरकार के द्वारा पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की गई है. आज जोधपुर (jodhpur) के मेहरानगढ़ फोर्ट से रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा को कोर कमाण्डर लेफ्टिनेंट 5 जनरल राकेश कपूर ने हरी झंडी देकर रवाना किया. कोर पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत व पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में जैसलमेर व बाड़मेर में कई जगह लड़ी लड़ाइयों की सही जानकारी युवाओं तक पहुंचाना है. यह यात्रा 5 सितंबर से 8 सितंबर तक उन क्षेत्रों में की जाएगी जहां पर भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध लड़ा गया था. इस दौरान लड़ाई लड़ने वाले देश के रियल हीरो उनके साथ रहेंगे. उस दौरान क्या घटना कैसे घटी उसे कैसे किया गया इसकी पूरी जानकारी रियल हीरो ही देंगे.
रियल हीरो सुनाएंगे कहानी
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध के दौरान हमारे देश के वीर जवानों ने दुश्मन के सैनिकों से लोहा लेते हुए उन को धूल चटाई थी. उनकी कहानी सुनकर देश के युवाओं को पता चले कि देश के जवान किस तरह से दुश्मनों से लड़ाई में जीत हासिल की. रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा में कोणार्क कोर के साथ राजस्थान सरकार, टूरिस्ट गाइड और 9 पूर्व सैनिक शामिल होंगे. ये पूर्व सैनिक वो हैं जिन्होंने 1971 की लड़ाई में स्वयं हिस्सा लिया था. पूर्व सैनिक 1971 के युद्ध में लड़े गए बैटल के स्थान पर स्वयं खड़े होकर मेरी कहानी, मेरी जुबान की तर्ज पर टूरिस्ट गाइड्स, एनसीसी कैडेट्स, स्कूली बच्चों और युवाओं को अपना अनुभव बताएंगे. चार दिन में यह यात्रा पश्चिमी बॉर्डर पर लड़ी गई चार मुख्य लड़ाइयों छाछरों, गडरा रोड, परबत अली और लोंगेवाला के जंग स्थल पर पहुंचेगी.
यहां से होकर गुजरेगी यात्रा
मेहरानगढ़ से सोमवार सुबह 8.30 बजे यात्रा शुरू होगी. इसके साथ 5 पूर्व सैनिक भी चलेंगे. यहां से स्वरूप का तला होते हुए बाकासर से गडरा रोड पहुंचेगी. अगले दिन मुनाबाव जाएगी जो टूरिस्ट गाइड व अन्य बॉर्डर भी देख सकेंगे. शाम को मुनाबाव से जैसलमेर पहुंचेगी. सात सितम्बर को जैसलमेर के लोंगेवाला और वहां से तनोट माता के मंदिर जाएगी. आठ सितम्बर को जैसलमेर से जोधपुर वापस पहुंचेगी. 1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध को लेकर कई फिल्में भी बनी है बॉर्डर फिल्म में लड़ाई के बारे में बताया गया और उसमें भैरव सिंह की मौत बताई गई थी. आपको हम बता दें कि भैरव सिंह आज भी जिंदा है ऐसी कई कहानियां हैं. जो आम लोगों को पता नहीं इसी उद्देश्य से रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा रियल हीरो की जुबानी उनकी कहानी की शुरुआत की गई है.
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