Rajasthan News: राजस्थान में सरकार अब गौशालाओं और नंदियों को बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. इसके लिए सरकार अब जांच भी कर कार्रवाई भी कर रही है. गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि पूरे प्रदेश में गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करने की लगातार शिकायत रही है. इसपर राज्य सरकार द्वारा उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगी.
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त किया जा रहा था. ऐसे में अब राज्य सरकार द्वारा जैसलमेर जिले में फर्जी अनुदान उठाने की शिकायतों की जांच करवाए जाने पर 12 गौशालाओं द्वारा फर्जी अनुदान प्राप्त करना पाया गया. राज्य सरकार द्वारा इन गौशालाओं के लाइसेंस निरस्त कर सम्बंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया.


राज्य सरकार गौवंश के कल्याण के लिए संवेदनशील है और उसके लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि भविष्य में वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता देखते हुए गौवंश पालकों को हर गाय पर दिए जाने वाले अनुदान को बढ़ाने के सम्बन्ध में फैसला लिया जाएगा. बेसहारा गौवंश पालकों को हर गाय पर एक हजार रुपये अनुदान देने का प्रस्ताव है. 


क्या है अभी अनुदान की प्रक्रिया?
गौशाला और कांजी हाउस में संधारित निराश्रित गौवंश के भरण-पोषण के लिए वर्तमान में एक साल पहले का पंजीयन और न्यूनतम 100 गौवंश होने पर वित्तीय वर्ष 2019-20 से बड़े गौवंश के लिए 40 रुपये हैं. जबकि छोटे गौवंश के लिए 20 रुपये की दर से और वित्तीय वर्ष 2022-23 से 270 दिवस की सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान है.


नंदीशालाओं में नर गौवंश और गौशालाओं में अपाहिज और अंधे गौवंश के भरण-पोषण के लिए सहायता राशि 12 महीने दिए जाने का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा एक्ट 2005 के तहत न्यूनतम रोजगार की गारंटी दी जाती है. यह व्यक्तिगत लाभार्थियों की योजना है, जबकि गौशालाओं का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं और ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है.


नंदियों को बचाने के लिए योजना
नंदियों को बचाने के लिए ग्राम पंचायत गौशाला और पशु आश्रय स्थल जनसहभागिता योजना और पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला जनसहभागिता योजना संचालित की जा रही है. इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत आवेदन प्राप्त करने और पात्र संस्था का चयन करने के लिए जिला स्तर पर निविदा आमंत्रित की जाती है. साथ ही चयनित संस्था के साथ अनुबंध किया जाता है. 


उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत प्रावधित राशि 1 करोड़ और 1.57 करोड़ रुपये तकमीना प्राप्त किया जाता है. प्रशासनिक स्वीकृति जिला संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग के स्तर पर जारी की जाती है. उन्होंने बताया कि चयनित संस्था द्वारा योजना में प्रावधित राशि 1 करोड़ और 1.57 करोड़ रुपये का 10 प्रतिशत राशि का संस्था के हिस्से का काम संस्था द्वारा करवाया जाता है. 10 प्रतिशत काम पूरा होने के बाद राज्यांश की प्रथम, द्वितीय और तृतीय किश्त 40 : 40 : 10 के अनुपात में जारी किये जाने का प्रावधान है.



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