Rajasthan Law Against Conversion: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने बीते मंगलवार (18 जून) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में अवैध तरीके से होने वाले धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जा रहा है. यह अभी प्रोसेस में है. हलफनामे में राजस्थान सरकार ने बताया कि जब तक यह कानून नहीं बन जाता, तब तक इस विषय पर कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस और निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा. 


गौरतलब है कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भरत लाल मीणा का हलफनामा साल 2022 की एक जनहित याचिका में दायर किया गया था. एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने एडवोकेट अश्विनी दुबे के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र और राज्य सरकारों को डराने, धमकाने, धोखे से उपहार और मौद्रिक लाभ का लालच देकर धोखाधड़ी वाले धर्म परिवर्तन के मामलों को कंट्रोल करने और इसके लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की थी. 


राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है ये मुद्दा- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन अगर सच है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है जो राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र से प्रतिक्रिया की मांग की थी. याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ की गई कुछ कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर स्पष्ट रूप से ध्यान देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का शीर्षक 'अश्विनी उपाध्याय बनाम राज्य' से बदलकर 'धार्मिक रूपांतरण का मुद्दा' कर दिया.


विशेष समुदाय को टारगेट करने का आरोप भी
बेंच के पास उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को इस आधार पर चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं भी हैं कि वे कथित तौर पर एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण हैं.


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