Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bhartour) जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) इस समय जलसंकट से गुजर रहा है. भरतपुर जिले में इस बार औसत से बरसात कम हुई है. वहीं बरसात कम होने से यहां पर प्रवासी पक्षीयों की संख्या भी केवलादेव नेशनल पार्क में कम देखने को मिल रही है. साथ ही केवलादेव नेशनल पार्क में कोरोना महामारी की वजह से दो साल से विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे है. केवलादेव नेशनल पार्क में लगभग 80 गाइड नियुक्त है जो पर्यटकों को केवलादेव नेशनल पार्क में देशी और विदेशी पक्षियों की जानकारी देते हैं. पार्क में घूमने जाने के लिए साईकिल रिक्शा और साईकिल से ही जा सकते है.क्योंकि पार्क में कोई भी वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है.


एक सीजन में चाहिए 550 एमसीएफटी पानी


बता दें कि केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षियों की 250 प्रजाति के लाखों की संख्या में पक्षी आते हैं. भरतपुर जिले को पक्षियों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. केवलादेव नेशनल पार्क को एक सीजन में 550 एमसीएफटी पानी की जरुरत होती है. केवलदेव नेशनल पार्क को पहले बाण गंगा नदी ,पांचना बांध गम्भीरी नदी रूपारेल से पानी की आपूर्ति की जाती थी और उस समय देशी विदेशी पक्षी लाखों की संख्या में पार्क में देखने को मिलते थे लेकिन धीरे - धीरे नेशनल पार्क को नदियों का प्राकृतिक पानी मिलना बंद हो गया. नेशनल पार्क को पानी की आपूर्ति के लिए चम्बल का पानी और गोवर्धन ड्रेन से पानी को लिफ्ट कर आपूर्ति की जा रही है. लेकिन चम्बल और गोवर्धन ड्रेन के पानी में नेचुरल फ़ूड और मछलियां नहीं मिल पाती जो पक्षियों की जरूरतों को पूरी कर सके.


गाइड और रिक्शा पुलर को सता रही भविष्य की चिंता


केवलादेव नेशनल पार्क से जुड़े गाइड और रिक्शा पुलर का कहना है की अक्टूबर से सीजन शुरू होने वाला है लेकिन पानी की कमी चिन्ता का विषय है. साथ ही गाइड और रिक्शा पुलर को अपने परिवार के लालन पालन की चिन्ता भी सता रही है क्योंकि पहले काफी संख्या में विदेशी पक्षी आते थे. जिन्हें निहारने के लिए विदेशी पर्यटक और भारतीय पर्यटक भी काफी संख्या में आते थे. कोरोना महामारी की वजह से विदेशी पर्यटकों के आने पर रोक लगी थी. जो अब नहीं है लेकिन अभी भी विदेशी पर्यटक ना के बराबर ही आ रहे है.


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बहुत ही खूबसूरत है केवलादेव पार्क - पर्यटक


कुछ पर्यटकों का कहना है की केवलादेव नेशनल पार्क के बारे में जितना सुना था उससे कही अधिक सुन्दर है. यहां पर हरियाली है और पक्षियों की चहचहाहट सुनने को मिल रही है. वहीं केवलादेव नेशनल पार्क के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया की इस बार भरतपुर संभाग में बरसात कम हुई है. केवलादेव नेशनल पार्क को चम्बल से 13 एमसीएफटी पानी मिल गया है चम्बल का पानी मिलने से पक्षी नेशनल पार्क में नेस्टिंग के लिए रुक गए है. गोवर्धन ड्रेन से लगातार पानी मिल रहा है और तीन पम्प चल रहे है. गोवर्धन ड्रेन से 5 एमसीएफटी पानी प्रतिदिन मिल रहा है. अब तक 100 एमसीएफटी पानी मिल चुका है. अगर एक महीने तक गोवर्धन ड्रेन से पानी मिल जाता है तो 150 एमसीएफटी पानी और मिल जायेगा. अगर 300 एमसीएफटी पानी नेशनल पार्क को मिल जाता है तो पक्षियों का नेस्टिंग एरिया में पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंच जाएगा.  


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