Rajasthan News: तपती गर्मी में एसी, कूलर छोड़कर स्टेशन पर लोगों को पिलाते हैं ठंडा पानी, जानें क्यों सालों से दे रहे ये सेवा?
Bharatpur: दोपहर में ट्रेन के यात्रियों और रेलवे स्टेशन पर आने वाले लोगों को पानी पिलाकर प्यास बुझाते हैं. कुछ परिवार के लोग घरों में एसी - कूलर छोड़कर पानी पिलाने आते हैं.
Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर जिले में भीषण गर्मी में पानी के प्यासे लोगों को ठंडा पानी पिलाने के लिए लोग अपने घरों में एसी - कूलर छोड़ कर आते है. भरतपुर जिला राजस्थान का पूर्वी द्वार कहा जाता है. भरतपुर जिले में भीषण गर्मी पड़ती है. मई और जून के महीने में भरतपुर का तापमान 45 डिग्री से भी ऊपर पहुँच जाता है. ऐसी भीषण गर्मी में कुछ लोग रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को और स्टेशन पर आने जाने वाले लोगों को पानी के ठन्डे पाउच उपलब्ध कराकर उनकी प्यास बुझाते है.
भरतपुर रेलवे स्टेशन पर एक संस्था, प्यास सेवा दी की तरफ से लगभग 10 वर्षों से 14 अप्रैल से लेकर 30 जून तक दोपहर 1 बजे से लेकर 4 बजे तक ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को या रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले लोगों को ठंडा पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझाते है. संस्था में सभी लोग संपन्न परिवार के है अपने घरों में एसी- कूलर छोड़कर भीषण गर्मी में पानी की सेवा करने रेलवे स्टेशन पर आते है, बच्चे, बुजुर्ग और जवान. बताया गया है कि रविवार को महिलाएं भी स्टेशन पर पहुंच कर पानी पिलाने का काम करतीं है.
रेलवे विभाग से लेते हैं अनुमति
प्यास सेवा दी के संस्थापक ओंकार सिंह संधू बताते है कि आज से लगभग 10 वर्ष पहले 500 पाउच बांटने से शुरू की गई सेवा आज बड़ा रूप ले चुकी है. अब रोजाना लगभग 5-6 हजार पाउच पानी के लोगों के बीच बांटे जाते है. रेलवे विभाग से स्टेशन पर पानी पिलाने की अनुमति ली जाती है. 14 अप्रैल से लेकर 30 जून तक रेलवे विभाग कोटा से अनुमति लेकर भरतपुर जंक्शन पर पानी पिलाया जाता है.
स्टेशन पर सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. पाउच देने से पहले लोगों को सूचित किया जाता है पानी पिने के बाद खाली पाउच को प्लेटफॉर्म पर नहीं फेंके, डस्टबिन में ही डाले लेकिन फिर भी कुछ लोग पानी पीकर खाली पाउच को प्लेटफॉर्म पर फेंक देतें है. उसको संस्था के सदस्य उठाकर डस्टबिन में पटकते है, और स्टेशन को साफ रखते है. बच्चे ,युवा ,बुजुर्ग सभी प्यास सेवा दी से जुड़कर स्टेशन पर कई वर्षों से सेवा कर रहे है.
गोल्डन टेम्पल ट्रेन से मिली सीख सेवा की
संस्थापक ओंकार सिंह संधू ने बताया है कि गोल्डन टेम्पल मेल गाड़ी में जनरल कोच इस तरह भर के चलते थे, की एकबार जो जहां है वही फंस गए हिल भी नहीं सकता था. ट्रेन में इतनी भीड़ होती थी. दोपहर का समय था मेल भरतपुर स्टेशन पर साढ़े 3 बजे के लगभग पहुंचती थी. उस समय लोग प्यासे होते थे, उनकी सेवा करने के उद्देश्य से पानी पिलाना शुरू किया था. शुरू 500 पाउच से किया था. अब 5000 पाउच प्रतिदिन बांटे जाते है गोल्डन टेम्पल मेल का समय बदल गया है. लेकिन अब अन्य ट्रेन आने लगी है और प्यास सेवा दी चल रही है. दोपहर को 1 बजे से 4 बजे तक चलती है.
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