Bharatpur News: मिनी शिवकाशी के नाम से मशहूर राजस्थान का भरतपुर जिला पटाखों के कारोबार के लिए भी पहचाना जाता है. आस-पास के कई राज्यों में भरतपुर से आतिशबाजी के लिए पटाखे भेजे जाते हैं. भरतपुर में आतिशबाजी के लिए पटाखे बनाने के कई कारखाने हैं, जिनमें कई वर्षों से पटाखे बनाने का कारोबार चलता आ रहा है. पटाखे बनाने के कारोबार से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है. आतिशबाजी के सामान को पैक करने के लिए छोटे-छोटे डिब्बे और बॉक्स बनाने का कार्य महिलाएं करती हैं, लेकिन अब ये सब संकट में घिर गया है.


दरअसल एनजीटी ने एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है. भरतपुर साल 2013 से ही नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) का हिस्सा है और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध है. एनसीआर की गाइडलाइन के अनुसार एनसीआर परिक्षेत्र में पटाखे बेचने पर रोक है और अब ग्रीन पटाखों की बिक्री की ही अनुमति है. एनसीआर में सर्दियों में होने वाले प्रदूषण से लोगों को राहत दिलाने के उद्देश्य से साल 2021 में एनसीआर में पटाखों की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.    


क्या कहना है पटाखे के कारखाने वालों का? 


भरतपुर में पटाखा बनाने वाले कारोबारियों का कहना है की हमको सरकार से लाइसेंस मिला हुआ है और लगभग 60 वर्षों से हम यह कारोबार करते आ रहे हैं. भरतपुर में वैसे भी रोजगार का कोई साधन नहीं है. पटाखा कारोबार में हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है, लेकिन अब एनजीटी की रोक के बाद लोग बेरोजगार हो गए हैं. गौरतलब है की राजस्थान के भरतपुर जिले को 1 जुलाई 2013 में एनसीआर में शामिल किया गया था. एनसीआर में भरतपुर के साथ ही हरियाणा के दो जिलों भिवाड़ी और महेन्द्रगढ़ को भी शामिल किया गया था.


फिलहाल एनसीआर में हरियाणा ,उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुल 19 जिले शामिल हैं. राजस्थान के दो जिले अलवर और भरतपुर का कुल 13 हजार 446 वर्ग किमी क्षेत्र एनसीआर का हिस्सा माना जाता है, जिसमे अलवर जिले का 8 हजार 380 वर्ग किमी और भरतपुर का 5 हजार 66 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल है. 


नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड द्वारा एनसीआर क्षेत्र के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है, उसी के अनुरूप जिले का प्रशासन व्यवस्था करता है. राजस्थान के दो जिले हैं, अलवर और भरतपुर, जहां एनसीआर में वाहनों के लिए बनाए गए नियम लागू होते हैं. एनसीआर के वाहनों के नियम के तहत 15 साल ही वाहन को चला सकते हैं उसके बाद वहां का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा जबकि अलवर और भरतपुर को छोड़कर राजस्थान के अन्य जिलों में 15 साल के बाद 5 साल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. 


भरतपुर व्यापार महासंघ के जिला अध्यक्ष संजीव गुप्ता ने बताया की भरतपुर जिले को एनसीआर में शामिल होने का कोई फायदा नहीं मिला है. भरतपुर में रहने वाले लोगों को बंदिशों का सामना करना पड़ रहा है. संजीव गुप्ता ने बताया की भरतपुर के एनसीआर में शामिल होने से इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं. डीजल के जनरेटर सैट भी बंद कर दिए हैं. ईंट के भट्टे बंद हैं. भरतपुर का विकास बंद हो गया है. एनसीआर के हिसाब से रेलवे स्टेशन का कोई विकास नहीं हुआ है. ट्यूरिज्म क्षेत्र में भी एनसीआर के तहत कोई विकास नजर नहीं आ रहा है. उनका कहना था की भरतपुर जिले को एनसीआर में शामिल होने से सिर्फ बंदिशें ही मिली हैं न की कोई फायदा.


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