Indian Railways New Technology: ट्रेन में सफर करने के दौरान आपने महसूस किया होगा कि ट्रेन (Train) पटरी पर चलते हुए हल्के झटके देती है. ट्रैक टूट जाने या अन्य कारणों से हादसे (Accident) भी होते हैं. इतना ही नहीं बारिश के मौसम में ट्रैक पर पानी भर जाने की वजह से कई बार ट्रेनों को कैंसिल भी कर दिया जाता है. लेकिन, ये अब नहीं होगा क्योंकि रेलवे ने ऐसी तकनीकों को तैयार कर लिया है जिससे इस तरह की सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा. इन तकनीकों का राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित किया गया.


ये कार्यक्रम रेलपथ इंजीनियर्स संस्थान (भारत) की तरफ से शुरू किया गया है. कार्यक्रम कोड़ियात स्थित अनंता होटल में शुरू हुआ जो 2 दिनों तक चलेगा. इस सेमिनार में पहले दिन भारतीय रेलवे नेटवर्क पर हाई स्पीड और हाई एक्सेल लोड को लागू करने और प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के विकल्पों पर सेमिनार हुआ. इसके अलावा कई ऐसी तकनीक पेश की गईं जो हादसों को रोकने के साथ यात्रा को सुविधाजनक बनाएगीं. मुख्य वक्ता संजीव मित्तल सदस्य (अवसंरचना) रेलवे बोर्ड एवं संरक्षक, रेलपथ इंजीनियर्स संस्थान (भारत) थे. सेमिनार में देशभर से रेलवे के 400 इंजीनियर्स भाग ले रहे हैं. 


ये तकनीक रोकेगी दुर्घटना
रेलवे ने ऐसी मशीन बनाई है जो ट्रैक के खराब होने की जानकारी पहले ही दे देगी. ये सेटेलाइट से कनेक्ट होगी. मशीन का नाम ट्रैक रियल टाइम एनॉमली मेजरमेंट सिस्टम मशीन है, जो ट्रेन के फ्लोर पर लगाई जाती है. इसका काम चलती ट्रेन के दौरान आने वाले झटकों की रियल टाइम जानकारी देना है. इसके साथ ये ट्रैक पर रोज लगने वाले झटकों की स्पीड की गणना भी करती है. जिस जगह ट्रैक पर ये समस्या आ रही है वहां की जीपीएस लोकेशन भी शेयर करती है. इससे टीम मौके पर पहुंचकर ट्रैक की मरम्मत कर देगी. समस्या का समय पर पता चलने से दुर्घटना से बचा जा सकता है.


आसानी से साफ होगा बरसात में जाम हुआ ड्रेनेज सिस्टम 
रेलवे ने बरसात के दौरान पानी भरने की समस्या को दूर करने के लिए एक यू-शेप ड्रेनेज सिस्टम बनाया है. इसकी खासियत ये है कि नाले में मिट्टी और पत्थर जमा होने पर इसका ऊपरी हिस्सा हटाकर साफ किया जा सकता है. इससे समय की काफी बचत होती है. ये प्री-कॉस्ट होता है. इस तकनीक को 100 मीटर लंबे ड्रेनेज सिस्टम को मात्र 2 घंटे में लगाया जा सकता है. इसके साथ कई सालों तक इसका कुछ नहीं बिगड़ता है.




अब क्रॉसिंग पर नहीं लगेगा जाम
आमतौर पर रेलवे क्रॉसिंग पर पटरी के बीच डामर कर दिया जाता है. इससे सड़क पर जैसे ही वाहन पटरी पर आते हैं, उनकी स्पीड कम हो जाती हैं. पटरी और सड़क के बीच गैप होने के साथ ऊंचाई भी ऊपर-नीचे रहती है. इस कारण ट्रैफिक जाम भी लग जाता है. वहीं रबड़ के बने ब्लॉक प्री-कास्ट होते हैं, जिन्हें पटरी के बीच लगाना होता है. इससे बिना किसी रूकावट के वाहन सामान्य गति से आगे बढ़ सकते हैं. इस तकनीक का उपयोग वेस्टर्न रेलवे में किया जा रहा है.


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