साल शुरू होने के साथ ही राजस्थान में चुनावी पारा चढ़ने लगा है. कांग्रेस की पायलट-गहलोत की अदावत के बीच बीजेपी में भी कुर्सी का खेल शुरू हो गया है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले नेशनल सेक्रेटरी अलका गुर्जर का एक बयान से पार्टी में अंदरूनी हलचल तेज हो गई है.


अलका ने सचिन पायलट की विधानसभा टोंक में एक रैली के दौरान कहा, 'मैं यह कहना चाहूंगी कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान की जनता को नेतृत्व प्रदान करें और इस भ्रष्टाचार सरकार का अंत करें.' गुर्जर के इस बयान के बाद बीजेपी के तमाम गुट फिर से सक्रिय हो गई. 


हाल ही में आमेर में एक कार्यक्रम में पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौर ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की तुलना पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत से की थी. वसुंधरा राजे की चुप्पी और कुर्सी के दावेदारों की फेहरिस्त बढ़ने से पार्टी हाईकमान भी टेंशन में है.


राजस्थान में इसी साल चुनाव होना है, ऐसे में मुख्यमंत्री के लिए पार्टी में कई चेहरे हैं और इसका असर टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार अभियान तक में दिख सकता है.


पहले कांग्रेस का झगड़ा समझिए...


पायलट-गहलोत में कुर्सी की लड़ाई
2018 में सरकार बनाने के बाद से ही कांग्रेस में कुर्सी को लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट सीएम कुर्सी को लेकर आमने-सामने हैं. 


गहलोत-पायलट की अदावत में कांग्रेस के 2 राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे और अजय माकन की कुर्सी भेंट चढ़ गई. सुलह के लिए हाईकमान ने कई प्रयास किए, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. 


चुनावी साल में भी दोनों गुट एक-दूसरे के खिलाफ रणनीति तैयार कर रही है. सीएम गहलोत जहां लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील कर रहे हैं, वहीं पायलट 5 जिलों में 5 रैली कर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.


बीजेपी में भी गुटबाजी चरम पर
रिवाज बदलने के सहारे सत्ता में वापसी का सपना देख रही बीजेपी में भी गुटबाजी चरम पर है. इसी वजह से राज्य में पिछले 4 सालों में हुए 8 में से 7 उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. 2019 लोकसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल करने के बाद बीजेपी के लिए सत्ता वापसी आसान दिख रही थी, लेकिन पिछले 3 साल में सियासी समीकरण बिल्कुल उलट चुका है.




(Source- PTI)


बीजेपी में सीएम पद के लिए कई दावेदारों के नामों की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है. इनमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम प्रमुख हैं. हालांकि, बीजेपी हाईकमान इस मामले में चुप्पी साध रखी है.


कुर्सी के 3 बड़े दावेदार पर तीनों की राह आसान नहीं...


1. वसुंधरा राजे- सीएम कुर्सी के दावेदारों की फेहरिस्त में सबसे पहला नंबर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की है. भैरो सिंह शेखावत के केंद्रीय राजनीति में जाने के बाद 2003 में बीजेपी ने वसुंधरा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया. वसुंधरा 2003-2008 और 2013-2018 तक राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.


राजे राजपूत जाति से आती हैं और राजस्थान में इसकी आबादी करीब 12 फीसदी है. मुख्यमंत्री रहने की वजह से राजे सभी 200 सीटों की समीकरण से वाकिफ हैं और करीब 70 सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है.




इस सबके बावजूद वसुंधरा की राह आसान नहीं है. 2018 से बीजेपी में साइड लाइन चल रही वसुंधरा अभी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. बीजेपी हाईकमान से उनकी अदावत भी जगजाहिर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सुलह के लिए हाईकमान से उनकी कई दौर की मीटिंग भी हो चुकी है, लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई है. 


2. ओम बिरला- लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के चुनावी साल में लगातार बढ़ रही सक्रियता ने राजस्थान में सियासी हलचल शुरू कर दी है. 2019 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद कोटा सांसद बिरला को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया था.


बिरला को प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के साथ ही संघ का भी करीबी माना जाता है. ऐसे में सियासी चर्चा है कि राजस्थान बीजेपी की कमान ओम बिरला को सौंपी जा सकती है.





ओम बिरला की राह में भी कई रोड़े हैं. बिरला का राज्य की लोकल पॉलिटिक्स में ज्यादा दखल नहीं रहा है. कोटा के अलावा अन्य जिलों में उनका प्रभाव कम ही है. इसके अलावा बिरला वर्तमान में लोकसभा स्पीकर हैं और केंद्र की राजनीति कर रहे हैं. 


3. गजेंद्र सिंह शेखावत- बीजेपी में सीएम पद के लिए तीसरा सबसे बड़ा दावेदार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत है. चुनावी साल में शेखावत भी राजस्थान की राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. 


2019 लोकसभा चुनाव में शेखावत ने सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव को जोधपुर से हराया था. इसके बाद मोदी सरकार में उन्हें राज्य स्तर से सीधे कैबिनेट स्तर के मंत्री में प्रमोट कर दिया गया था. 




शेखावत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा वसुंधरा गुट है. 2018 में चुनाव से पहले हाईकमान शेखावत को प्रदेश की कमान सौंपना चाहती थी, लेकिन वसुंधरा ने इसमें अड़ंगा लगा दिया था. 


बीजेपी के पास ऑप्शन क्या, 2 प्वॉइंट्स...
1. मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऑप्शन- बीजेपी के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह ने पिछले दिनों एक बयान में कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पार्टी चुनाव लड़ेगी. बीजेपी मोदी चेहरे को आगे करके कई चुनावों में ऐसा पहले भी कर चुकी है. यूपी, गुजरात, असम और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका फायदा भी पार्टी को मिल जाए.


2. वसुंधरा को कमान सौंपने का ऑप्शन- 2013 के चुनाव से पहले भी बीजेपी के सामने इसी तरह के हालात थे. उस वक्त राजनाथ सिंह अध्यक्ष थे और सुलह के बाद वसुंधरा राजे को कमान सौंपी गई थी. वसुंधरा ने चुनाव में बेहतरीन परफॉर्मेंस करते हुए सरकार बनाई. 


राजस्थान का चुनाव महत्वपूर्ण क्यों?
राजस्थान समेत 3 राज्यों का चुनाव लोकसभा चुनाव 2024 से ऐन पहले होगा, इसे लोकसभा का सेमीफाइनल भी माना जाता है. राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. वर्तमान में इन सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.


1990 में पहली बार बीजेपी को मध्यप्रदेश के बाद दूसरे बड़े राज्य में सरकार बनाने का मौका मिला था. केंद्र की राजनीति में राजस्थान बीजेपी के नेता मजबूत दखल रखते हैं. वर्तमान में उपराष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर राजस्थान के ही हैं.