Rajasthan News: राजस्थान में भले ही साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हो, लेकिन उसके पहले ही बीजेपी राजस्थान के अपने नेताओं का टेस्ट लेने के मूड में है. राजस्थान के जातिगत नेताओं को गुजरात में उतारकर बीजेपी अपने रिकॉर्ड को और बेहतर करने का प्लान बनाया है. इसी कड़ी में राजस्थान के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा मीणा को गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में उतार दिया है. किरोड़ी लाल मीणा ने गुजरात के महीसागर जिले की संतरामपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रतापपुरा में प्रचार किया है. किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि आदिवसियों के सबसे ज्यादा हितैषी सरकार अटल की थी और अब पीएम नरेंद्र मोदी के समय में आदिवासियों को बहुत लाभ मिल रहा है. बीजेपी ने देश के राष्ट्रपति पद पर आदिवासी को भेजा है. उन्होंने आदिवासियों को उनके हित की पूरी बात बताई.


राहुल के बयान से बदला प्लान
पिछले दिनों गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द 'वनवासी' पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि जहां कांग्रेस पार्टी जनजातियों के लिए 'आदिवासी' शब्द का इस्तेमाल करती है तो वहीं बीजेपी उन्हें 'वनवासी' कहती है. इतना ही नहीं राहुल ने कहा था कि बीजेपी आपको आदिवासी बल्कि वनवासी क्यों बुलाती है? वे ये नहीं कहते कि आप हिन्दुस्तान के पहले मालिक हों. इसी बयान के बाद बीजेपी ने अपना प्लान चेंज कर दिया है. चूकिं, किरोड़ी लाल मीणा मीणा राजस्थान में मीणाओं के दिग्जज नेता हैं और बीजेपी इस समय गुजरात में उनका पूरा लाभ उठाना चाहती है.


गुजरात में आदिवासी की आबादी
गुजरात में 2011 की जनगणना के मुताबिक 89.17 लाख आदिवासी हैं. जो इस पूरे आबादी का 15 फीसदी हैं. इस समुदाय की बड़ी आबादी सूबे के 14 पूर्वी जिलों में रहती है. जिसमें 48 तालुका आते हैं. डांग में 95 फीसदी, तापी में 84 फीसदी, नर्मदा में 82 फीसदी, दाहोद में 74 फीसदी, वलसाड में 53 फीसदी, नवसारी में 48 फीसदी, भरूच में 31 फीसदी, पंचमहल में 30 फीसदी, वडोदरा में 28 फीसदी और साबरकांठा में 22 फीसदी है. इन पर सभी दलों की नजर हैं. इन्हे रिझाने का काम सभी दल करने में जुटे हैं. ऐसे में सभी इनके दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया गया है.


कितनी हैं इनकी सीटें
गुजरात में आदिवासियों के लिए कुल 27 सीटें रिजर्व है. इन सीटों पर किसी भी एक दल का कब्जा नहीं है. जानकारी के अनुसार आदिवासी 27 सीटों तक ही सीमित नहीं है इनका सियासी प्रभाव 35 से 40 सीटों तक फैला है. एक आकड़ें के अनुसार गुजरात में 47 विधान सभा की सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी समुदाय की आबादी 10 प्रतिशत से ज्यादा है. 40 विधानसभा सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा इनकी आबादी है. इसीलिए सभी दल इनके सियासी प्रभाव से दबे हैं.


फिर दोहराया न जाय इतिहास
गुजरात में साल 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में आदिवासी समुदाय में कांग्रेस ने बीजेपी को पछाड़ दिया था. कांग्रेस ने 27 सीटों में से 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के खाते में सिर्फ 8 सीटें आई थीं. भारतीय टाइबल पार्टी यानी बीटीपी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी, लेकिन इस बार बीजेपी यहां पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए राजस्थान के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा मीणा के माध्यम से अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है. जिससे पुराना राजनीतिक इतिहास दोहराया न जाय.


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