Rajasthan Politics: 'कांग्रेस सरकार के प्राण कब निकल जाएं पता नहीं', BJP प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का CM अशोक गहलोत पर तंज
Jaipur: सतीश पूनिया ने अशोक गहलोत सरकार पर बड़ा बोलते हुए कहा कि चार साल का लेखा-जोखा करें तो जिस राजस्थान को शांतिपूर्ण प्रदेश कहा जाता था. आज उसकी विरासत में 8 लाख 31 हजार से अधिक मुकदमे हैं.
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Rajasthan Politics: राजस्थान की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार पर जहां एक ओर कांग्रेस (Congress) के ही कुछ विधायक हमला बोल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी लगातार हमलावर है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस सरकार के प्राण कब निकल जाएं पता नहीं है. दरअसल, पूनिया का बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस में 'कोल्ड वार' का दौर दिख रहा है. वहीं पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सचिन पायलट की तारीफ की थी. बीजेपी एक दिसंबर से अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश में जन आक्रोश रथों को निकालने जा रही है. एक तरह से अशोक गहलोत के लिए यह बड़ी चुनौती है. गहलोत सरकार के दिसंबर में चार साल पूरे होने वाले हैं. इसके बाद सरकार चुनावी मोड में जाने की तैयारी कर रही है. ऐसे में विपक्ष और हमलावर हो चुकी है.
सरकार कर रही लापरवाही
सतीश पूनिया ने कहा कि 2018 में कांग्रेस में कलह शुरू हुई. जब राजभवन में मुख्यमंत्री की शपथ के बाद भी दो-दो मुख्यमंत्रियों के नारे लगे. उसके बाद लगातार मंत्रिमंडल के गठन को लेकर झगड़ा हो रहा है. सचिवालय में कमरे किसको कौन सा मिले इसका झगड़ा, गाड़ी किसको कैसी मिले इसका झगड़ा और अंत में इसके कारण राजस्थान की जनता कोरोना का दंश झेल रही थी, तो भी यह सरकार या तो भेदभाव कर रही थी या लापरवाही कर रही थी. यह तो भला हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिन्होंने समय पर प्रदेशवासियों को निःशुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवाई और एक समर्पित अभियान से राजस्थान के आठ करोड़ लोगों के जीवन की सुरक्षा की.
अपराध का पूरा आकंड़ा दिया है
सतीश पूनिया ने कहा चार साल का लेखा-जोखा करें तो जिस राजस्थान को शांतिपूर्ण प्रदेश कहा जाता था. आज उसकी विरासत में 8 लाख 31 हजार से अधिक मुकदमे हैं. जो राजस्थान का अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है. यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि 47 प्रतिशत एफआईआर फेंक हैं. इनके शब्दों पर जाया जाए और उनको सच माना जाए तो भी एक लंबी फेहरिस्त मुकदमों की है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2021 और 2022 के आंकड़े जब प्रस्तुत किए तो 6,337 का आंकड़ा था महिलाओं के प्रति बलात्कार का, रोजाना औसतन 17 बलात्कार 7 हत्याएं और अनुसूचित जाति, जनजाति पर अत्याचारों की और मुकदमों की बाढ़ सी आई है.
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