Rajasthan News: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हाड़ौती दौरे पर हैं, उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. जहां वह कांग्रेस के अंतरकलह पर खुलकर बोले वहीं उनकी नीतियों, नियत पर भी सवाल खडे किए. उन्होंने कांग्रेस पार्टी को खाली पीपे में चूहे कूद रहे हैं, यहां तक कह डाला. पूनिया ने कहा कि हमारा चरित्र कांग्रेस की तरह नहीं है उनके यहां तो पूरा घर ही खाली हो गया. खाली पीपे बचे हैं, जिनमें चूहे कूद रहे हैं.


'बड़ी संख्या में लोग पार्टी से जुडेंगे'
सतीश पूनिया एक सवाल के जवाब में कुछ ऐसा कह गए कि अलग-अलग पार्टी विचारों के बहुत सारे लोग पार्टी में आने को इच्छुक है. ये काल, समय, परिस्थिति पर निर्भर करता है. कुछ चीजें भविष्य के गर्भ में है सही समय होगा तो पार्टी उस पर विचार करेंगी. एक बड़ी संख्या में लोग हैं जो पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. इस बात से उन्होंने संकेत दिए की आने वाले समय में बीजेपी में कई लोग शामिल हो सकते हैं, चाहे वह किसी भी पार्टी के हो.


कांग्रेस के घटनाक्रम को सुनियोजित बताया
उन्होंने राजस्थान में चल रहे कांग्रेस के घटनाक्रम को सुनियोजित बताया और कहा, "जो राजनीतिक अस्थिरता है वो कौन सा मोड़ ले जाए कोई नहीं कह सकता. एक सवाल ये खड़ा होता है कि गवर्नेंस कहां है, सरकार कौन चला रहा है. मुख्यमंत्री को अंतिम पड़ाव पर ओलंपिक नजर आते हैं. आज ही इन्वेस्टमेंट समिट नजर आता है. कथित 80-90 लोग इस्तीफा दे दे, और वो कहे कि वो तो अचानक हुआ है. तो क्या टेंट वाला,बस वाला,खाने वाला, केटरिंग वाला वहीं सोया हुआ होगा, ये अनायास नहीं था. ये कांग्रेस की अंदरूनी, पूर्वनियोजित साजिश थी. लेकिन प्रश्न ये कि इस्तीफा वाले मामले पर आलाकमान स्थिति स्पष्ट करें. ये बताएं राजस्थान की जनता को मूर्ख बनाने के लिए सियासी पाखंड था. अगर सच्चाई है तो स्पीकर को इस्तीफे तुरंत स्वीकार कर लेने चाहिए. स्पीकर अगर वैधानिक रूप से इस्तीफे स्वीकार करता है तो एक संकट राजस्थान में सीधे-सीधे खड़ा हो जाता है. पूनियां ने कहा कि आज सवाल ये है कांग्रेस सरकार का क्या होगा, एक कहावत है कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी. इस तरीके का कांग्रेस का आचरण रहा है, कच्छ से कामरूप व कश्मीर से कन्याकुमारी तक नीति व व्यवहार से इन्हें नकार दिया गया है."  


'ऐसा लग रहा है कि सब समेटने में लगे'
पूनिया ने कहा, "राजस्थान में पिछले 4 सालों में ये कहा कि हमारे घर का झगड़ा है. लेकिन घर के झगड़े में कोई सरकार 50 दिन बाड़े में बंद रही. ये ताज्जुब की बात है. घर के झगड़े में राजस्थान में अपराध बढ़ जाए यही दुर्भाग्य की बात है. कांग्रेस के अंतर्कलह,अंतर्द्वंद का असर राजस्थान की गवर्नेंस,विकास व निवेश पर पड़ा. अभी और समिट कर रहे हैं पर ऐसा लग रहा है कि सब समेटने में लगे हैं. राजस्थान में कांग्रेस का अंतिम पड़ाव पर है और इसी समय उन्हें ओलंपिक खेल व इन्वेस्टमेंट समिट याद आ रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि समिट के बजाय समेटने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि जनता अच्छी श्रोता है अच्छी दर्शक है. हम तो 2023 तक इंतजार कर लेंगे, उसमें ज्यादा समय नहीं है."


'4 साल तक पार्टी का आलाकमान नहीं ले पाया फैसला'
उन्होंने आगे कहा, "राजस्थान की 4 साल की गवर्नेंस ने राजस्थान की जनता को ठगा है. 2018 में राजभवन में दो-दो मुख्यमंत्री के नारे लगे. 4 साल तक पार्टी का आलाकमान कोई भी फैसला नहीं कर पाया. हालात ये हो गए कि आज राजस्थान साढ़े 4 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्जदार हो गया. कांग्रेस आज पूरी तरीके से विखंडित है. इस तरीके से विभाजित पार्टी किसी भी प्रदेश का भला नहीं कर सकती. मुझे लगता है कांग्रेस इस समय वेंटिलेटर अंतिम सांसे गिन रही है. थोड़ी बहुत कसर बचेगी वो 2023 में राजस्थान की जनता ऐसा धक्का देगी कि वापस प्रदेश में कभी नहीं आ पाएंगे."


गहलोत के अडानी के साथ मंच साझा करने के सवाल पर उन्होंने कहा कांग्रेस का जो कंट्रास्ट है उनका राग बड़ा बेसुरा है. ना वो ठीक से बोल पाते ना बजा पाते हैं. राहुल गांधी आज ही के दिन अडानी की आलोचना करते हैं. दूसरी तरफ अशोक गहलोत मंच सांझा करते हैं. भारतीय जनता पार्टी पर तो अडानी को लेकर सवाल खड़ा करते हैं. आज उनकी अगवानी में अशोक गहलोत खड़े हैं, कांग्रेस के दोहरा चरित्र, दोहरे नेतृत्व के कारण पूरी तरीके से अप्रासंगिक हो गई है.


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