राजस्थान रिश्वत कांड: महिला ASP ने 7 साल की नौकरी में बनाया करोड़ों का रिसॉर्ट, ट्रेप फेल होन के बावजूद ऐसे चंगुल में फंसी दिव्या
एएसपी को ट्रेप करने के लिए एसीबी ने परिवादी को वाॅयस रिकॉर्डर देकर पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग करवाई थी. परिवादी ने जब एसओजी कार्यालय पहुंचकर एएसपी से संपर्क कर बातचीत की उस वक्त रिकॉर्डिंग ऑन थी.
Rajasthan Crime News: सूबे की सरकार सत्ता में वापसी करने के लिए ग्रामीण और शहरी ओलंपिक खेल करवा रही है. लेकिन इन खेलों के बीच प्रदेश में एक बड़ा खेल और हो रहा है. यह खेल है घूसखोरी का. पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार इस कदर चरम पर है कि यहां हर रोज कहीं न कहीं रिश्वत की रकम लेते घूसखोर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के हत्थे चढ़ रहे हैं. छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े से बड़े अधिकारी भी घूसखोरी के इस खेल में शातिर खिलाड़ी के रूप में सामने आए हैं. ताजा मामला अजमेर (Ajmer) के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का है. एसीबी की गिरफ्त में आई एसओजी की एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल (Divya Mittal) से जो खुलासे हुए उससे जाहिर है कि प्रदेश भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है.
'अब सोच लो क्या करना है'
एएसपी को ट्रेप करने के लिए एसीबी ने परिवादी को वाॅयस रिकॉर्डर देकर पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग करवाई थी. परिवादी ने जब एसओजी कार्यालय पहुंचकर एएसपी से संपर्क कर बातचीत की उस वक्त रिकॉर्डिंग ऑन थी. परिवादी ने मांगी गई दो करोड़ रुपए रिश्वत राशि देने में असमर्थता जाहिर की तो एएसपी ने कहा कि "यह अकेले मेरे हाथ में नहीं है. रकम ऊपर वालों को भी देनी होती है." इसके बाद परिवादी ने कहा कि वह 10 लाख रुपए ही दे सकता है. दिव्या ने डांटते हुए जवाब दिया कि "यह कोई बनिए की दुकान नहीं है. बारगेनिंग मत करो. पहले जो रकम तय हुई, वो देनी ही होगी. पहले गुरनानी को भी समझाया था लेकिन नहीं माना और फिर गिरफ्तार हुआ. अब सोच लो, क्या करना है."
2 करोड़ के लिए रची साजिश
ASP दिव्या परिवादी की हरिद्वार स्थित दवा कंपनी में पहुंची. वहां जाकर परिवादी से कहा कि उसके खिलाफ अजमेर में साइकोट्रॉपिक दवा के तीन केस दर्ज हुए हैं. पकड़ी गई दवाइयों में उनकी फैक्ट्री की दवाएं भी शामिल हैं. यह सुनकर परिवादी घबरा गया था. इसके बाद दिव्या ने एनडीपीएस एक्ट के मामले में डरा-धमकाकर केस से नाम हटाने के लिए अपने दलाल के मार्फत दो करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी. इससे पहले दिव्या ने कोरोना महामारी के दौरान बीकानेर में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई की थी. उस केस में अनुज अग्रवाल, प्रदीप, विनय को गिरफ्तार किया था. धोखाधड़ी, साजिश और आवश्यक वस्तु अधिनियम का दोषी मानते हुए तीनों के खिलाफ जयपुर कोर्ट में चालान पेश किया था.
रिसोर्ट को बनाया घूसखोरी का अड्डा
दिव्या ने अब तक करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी बनाई है. इनका अजमेर में फ्लैट, चिड़ावा में घर, जयपुर में फ्लैट और उदयपुर में आलीशान रिसोर्ट है. 7 साल तक उदयपुर में सरकारी नौकरी की. उदयपुर के चिकलवास में नेचर हिल रिसोर्ट बनाया. दिव्या के काले कारनामे इसी रिसोर्ट में अंजाम दिए जाते थे. यह रिसोर्ट घूसखोरी का अड्डा बना रखा था. दलाल के मार्फत रिश्वत की रकम का लेनदेन भी इसी रिसोर्ट में ही होता था. वह परिवादियों को बेखौफ होकर कहती थीं कि इस रिसोर्ट में डरने की जरूरत नहीं है.
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