Rajasthan News: कोटा राजपरिवार की भूमि पर रोक के बाद भी काट दी गई कॉलोनी, खरीद-बेचान का बड़ा खेल
कोटा राजपरिवार की जमीन पर रोक लगने के बाद भी कॉलोनी काट दी गई. हालांकि खरीद-बेचान पर वर्ष 2014 से रोक लगी हुई है. अधिकारियों की सांठगांठ से 16 हेक्टेयर जमीन 3 लोगों को बेचने का खुलासा हुआ.
Rajasthan News: राजस्थान के कोटा में जमीन खरीद-बेचान का बड़ा खेल सामने आया है. राजपरिवार की जमीन पर रोक लगने के बाद भी कॉलोनी काट दी गई. हालांकि खरीद-बेचान पर वर्ष 2014 से रोक लगी हुई है. अधिकारियों की सांठगांठ से 16 हेक्टेयर जमीन 3 लोगों को बेच दिया गया. नामांतरण खोलने के साथ कॉलोनी का पट्टा भी जारी हो गया. मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत के बाद मामले का खुलासा हुआ. जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने कॉलोनियों के पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी और जांच के आदेश जारी कर दिए. कोटा राजस्थान सरकार के यूडीएच मंत्री शांति कुमार धारीवाल का गृह जिला है और उन्हीं के विभाग की करतूत सामने आई तो कई सवाल खड़े हो गए.
कोटा राजपरिवार की जमीन में खरीद-बेचान का खेल
जिला कलेक्टर की जांच के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया. मामले में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. पूर्व कलेक्टर, नगर निगम, यूआईटी, पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर भूमि पर पट्टे जारी किए गए हैं. जांच में कई अधिकारियों के नाम सामने आएंगे. सवाल है कि आखिर कोर्ट का स्टे लगने के बावजूद विवादित भूमि की रजिस्ट्री कैसे हो गई और नगर विकास न्यास के अध्यक्ष ने कैसे पट्टे पर साइन कर नक्शों को पास कर दिया? क्या कारण थे कि न्यास ने नक्शे पास करने में देरी ही नहीं लगाई? हालांकि मामला कोटा राजपरिवार के भीम सिंह की जमीन से जुड़ा हुआ था. परिवार के सदस्य इज्यराज सिंह कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं और पत्नी कल्पना सिंह बीजेपी से लाडपुरा विधायक हैं.
जांच में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका है संदिग्ध
जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा ने बताया कि जानकारी लगने के बाद तत्काल खरीद, बेचान पर रोक लगा दी गई है. सारी जमीन के प्रकरण की जांच की जा रही है. 2014 में तत्कालीन कलेक्टर ने रोक लगाते हुए राजस्व विभाग को विशेषज्ञों की टीम भेजकर जांच कराने को कहा है. जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा के मुताबिक नहर के पास थेकड़ा इलाके में राजपरिवार की 7 बागों की कई बीघा जमीन है. करीब 16 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री 17 सितंबर, 2021 को बिल्डर्स के नाम की गई. रजिस्ट्री के तीन दिन बाद ही नामांतरण भी खुल गया. नामांतर के अगले दिन आवासीय योजना स्वीकृत करने कोटा नगर विकास न्यास में आवेदन पहुंच गया. आपत्ति मांगने की औपचारिकता पूरी कर न्यास ने आवासीय योजना का नक्शा और प्लान 16 मार्च को पास कर दिया और कॉलोनी बस गई.
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