Bundi News: राजस्थान के बूंदी में अंधविश्वास का खेल देखने को मिला है. 21वीं सदी के इस दौर में भी अंधविश्वास कायम है. अब भी राजस्थान के कुछ ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास ज्यों का त्यों बना हुआ है. भले ही विज्ञान कितनी ही तरक्की कर ले, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास आज भी बरकरार है. जिस पर लोग आंख मूंद कर भरोसा करते हैं. बूंदी जिला मुख्यालय के अस्पताल पर अंधविश्वास के नजारे हर किसी को देखने को मिल जाते हैं. जहां जिले के ग्रामीण इलाकों से हर माह ढोल बाजे के साथ महिलाएं-पुरुष अस्पताल में आत्मा को मनाने के लिए पहुंचते हैं.
घंटों पूजा- पाठ करते हुए आत्मा को मनाने का कार्यक्रम चलता रहता है. भाव आने की घटना, झाड़-फूंक देखकर लोग आश्चर्यचकित होकर घटनाक्रम देखते रहते हैं. सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो जाती है. अस्पताल प्रशासन की ओर से भी इस अंधविश्वास के खेल को नहीं रोका जा रहा है.
आज भी बूंदी ट्रॉमा सेंटर के बाहर अंधविश्वास का खेल चला. यहां जिले के गुर्जरों का खेड़ा गांव निवासी लोदा लाल (50) की 5 साल पहले जहरीले कीड़े से मौत हो गई थी. उस समय परिवार जन उसे बूंदी अस्पताल लेकर पहुंचे तो अस्पताल के मुख्य द्वार के यहां उसने दम तोड़ दिया. तांत्रिक के चक्कर में आकर परिवारजन जहां मौत हुई थी वहां अंधविश्वास का खेल करने के लिए पहुंचे.
ढोल नगाड़ों के साथ पूजा पाठ की गई और मौत हो चुकी लोदा लाल की आत्मा को शांति देने का काम किया गया. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि लोदा लाल की मौत होने के बाद उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली है, इसलिए जहां उनकी मौत हुई थी वहां शांति पाठ करने के लिए आए हैं. हालांकि इस मामले में जब अस्पताल अधीक्षक से मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इस तरह के मामला होने से ही मना कर दिया.
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