राजस्थान के बूंदी (Bundi)  जिले में जल्द ही फूड सेफ्टी लैब (Food Safety Lab) खुलने जा रही है.  इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई हैं.  स्वास्थ्य भवन के पास प्रशासन ने 4000 वर्ग फीट जमीन को निशुल्क आवंटित कर दिया है. बस अब लैब बनने के बाद फूड सेफ्टी से जुड़ी सामग्रियों की रिपोर्ट आने में लंबे समय का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और प्रकरण में निस्तारण किए जा सकेंगे. गौरतलब है कि  बूंदी, बारां, झालावाड़ में केवल कोटा में ही लैब स्थापित थी,  जहां हाड़ोती भर के सैंपल कोटा जांच के लिए आते थे. ऐसे में लंबे समय तक रिपोर्ट नहीं आने के चलते प्रशासन मामलों में कार्रवाई नहीं कर पाता था. 
वहीं बूंदी में लैब बनने के बाद यहां पर ही टेस्ट होंगे और यहीं पर ही रिपोर्ट जारी होने के साथ मामलों में कार्रवाई की जा सकेगी. बता दें कि एक सैंपल की रिपोर्ट आने में अब तक 15 दिन से 1 महीना लग जाता था. गौरतलब है कि हाल ही में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान का बजट पेश करते हुए कई जिलों में नई सेफ्टी लैब खोलने की घोषणा की थी जिसके तहत बूंदी में यह लैब बनाई जा रही है. 


आखिर क्यों जरूरी है फूड सेफ्टी लैंब 
लंबे समय से बूंदी में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा लिए जाने वाले सैंपल को कोटा व अन्य जगहों पर भेजने का काम किया जाता था.  जिसमें 1 महीने तक का वक्त लग जाता था.  उसके बाद रिपोर्ट आती थी तो कार्यवाही आगे बढ़ाई जाती थी.  हर साल सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए त्योहारी सीजन पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाती है, जिसमें बड़ी मात्रा में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम मावा, मिल्क केक, दूध सहित कई प्रकार की खाद्य सामग्रियों पर कार्रवाई कर जब्त करती है और उनके सैंपल को बाहर भेजकर 15 से 1 महीने तक का इंतजार करती है.  ऐसे में रिपोर्ट आने में टाइम लगने पर मिलावटखोर अपनी चांदी कूट लेते हैं.  मिलावट खोर तब तक मिलावटी मिठाई मावा या अन्य चीजें बेचते रहते हैं.  वक्त गुजरने पर रिपोर्ट आने का कोई मतलब नहीं रह जाता.  इसी तरह कई बार मिलावट के संदेह पर सैंपल लेकर खाद्य सामग्री रिपोर्ट आने तक सील कर दी जाती है, लेकिन खाद्य सामग्री ऐसी होती है जो जल्द खराब हो जाती है इससे व्यापारियों को नुकसान भी झेलना पड़ता है. वहीं  सैंपल फेल या पास होने की चिंता भी सताती रहती है. अब बूंदी में लैब शुरू होगी तो यहां पर जल्द ही रिपोर्ट आने पर सैंपल मिलावट है या नहीं इसका पता लगाया जा सकेगा,  साथ ही आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होने जैसी समस्याएं भी खत्म होती भी दिखाई देगी.


जिला कलेक्टर ने 4000 फीट भूमि का किया निशुल्क आवंटन
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के  बजट घोषणा में प्रदेश के कई जिलों में फूड सेफ्टी लैब खोलने की घोषणा किए जाने के बाद बूंदी में भी तेजी से कार्य शुरू हो गया है.  बूंदी एसडीएम ने जिला खाद्य प्रयोगशाला की जमीन के लिए प्रस्ताव सीएमएचओ दफ्तर के पास ही स्थित खसरा संख्या 1012/272 रकबा 194.7106 हैक्टेयर में से 0.372 हेक्टेयर यानी 4000 वर्ग फीट जमीन का प्रस्ताव कर जिला कलेक्टर को भिजवाया. इस पर जिला कलेक्टर ने भूमि सीएमएचओ को खाद्य सुरक्षा विभाग के लिए फूड सेफ्टी लैब बनाने के लिए आवंटित की है. वहीं सीएमएचओ महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा लैब के लिए जगह आवंटित हो गई है.  तहसीलदार को जगह का सीमा ज्ञान कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं.  पूरी प्रक्रिया में करीब 2 माह लग जाएंगे इसके बाद भवन निर्माण शुरू हो जाएगा. 


लैब खुलने के साथ ही स्टाफ की तैनाती भी बढ़ेगी
बूंदी में फूड सेफ्टी लैब खुलने के साथ ही पर्याप्त मात्रा में स्टाफ की तैनाती भी होगी. जिसमें फूड एनालिस्ट, लैब टेक्नीशियन सहित एक दर्जन सदस्य स्टॉफ लैब में तैनात होंगे. हालांकि जिले में अभी केवल 1 फ़ूड इंस्पेक्टर, एक ऑपरेटर तैनात है जो कार्रवाई व सैंपल को संग्रहित कर लैब में भेजने का काम करते हैं.  विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही लैब का निर्माण पूरा होगा वैसे ही यहां पर रिक्त पड़े पदों को भर दिया जाएगा. वहीं  स्टाफ बढ़ जाने के साथ जिले भर में अभियान भी चलाया जाएगा. इसमें दुकानों के लाइसेंस, जिले पर की गई दुकानों की जांच, सैंपल लेने सहित कई काम भी होंगे ताकि जनता को दूषित चीजें देने वालों पर कार्रवाई की जा सके.



 

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