Rajasthan Bypolls 2024: भारतीय निर्वाचन आयोग आज महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. इन चुनावों के साथ ही राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनावों की तारीखों की घोषणा भी आज संभव है. 


राजस्थान की ये 7 सीटें अलग-अलग कारणों से खाली हुई हैं- 
• दौसा विधानसभा सीट कांग्रेस नेता मुरारी लाल मीणा के सांसद बनने से खाली हुई है.
• झुंझुनूं विधानसभा सीट कांग्रेस नेता बृजेंद्र ओला के सांसद बनने से खाली हुई है.
• देवली-उनियारा सीट हरीश मीणा के टोंक-सवाई माधोपुर सांसद बनने से खाली हुई है.
• खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल के नागौर सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. 
• चौरासी विधानसभा सीट (BAP) नेता राजकुमार रोत के बांसवाड़ा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है.
• सलूंबर विधानसभा सीट बीजेपी नेता अमृतलाल मीणा की मौत के कारण खाली हुई है.
• रामगढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक जुबैर खान के निधन के बाद खाली हुई है.


दौसा विधानसभा सीट
बीजेपी की तरफ से किरोड़ी लाल मीणा के छोटे भाई जग मोहन मीणा की मजबूत दावेदारी माना जा रही है. इसके अलावा यदि इस सीट पर सामान्य प्रत्याशी को अवसर देने की बात आई तो पूर्व विधायक शंकर लाल शर्मा को प्रबल दावेदार माना जा सकता है. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर्स काफ़ी है. दौसा में नंद लाल बंशीवाल परिवार की भी गहरी पकड़ रही है. पार्टी अगर इस सीट से किसी एस सी प्रत्याशी के नाम पर विचार करती है तो पूर्व विधायक नंद लाल बंसीवाल एक प्रमुख चेहरा हो सकता है.


वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इस सीट को किसी हाल में खोना नहीं चाहेगी. यहां से मुरारी लाल मीणा सांसद बने है इसलिए काफ़ी संभावना है कि उनके परिवार से किसी को टिकट दिया जाये. ऐसे में उनकी पत्नी सविता या बेटी निहारिका मीणा में से किसी को टिकट दिया जा सकता है. सचिन पायलट की गुर्जर जाति का भी इस सीट पर बड़ा वोट बैंक है ऐसे में पायलट के करीबी पूर्व विधायक गज राज खटाना भी एक संभावित प्रत्याशी है. अगर मीणा चेहरे पर कांग्रेस ने दाव खेला तो छात्र राजनीति से सक्रिय नरेश मीणा एक संभावित नाम हो सकता है.


झुंझुनूं विधानसभा सीट
झुंझुनूं विधानसभा सीट वर्षों से कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री शीश राम ओला के परिवार का यहां दबदबा रहा है. उनके बेटे बृजेंद्र ओला के सांसद बन जाने की वजह से खाली हुई इस सीट पर ओला परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट दिया जाना तय है. बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला ओला यहां से जिला प्रमुख रही है ऐसे में दावेदारों की दौड़ में वे सबसे आगे है. यदि उनको टिकट नहीं मिला तो बेटे अमित या बहू आकांक्षा ओला भी दावेदार है. 


वैसे ओला परिवार की राजनीति का विरोध करने वाले लोग कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दिनेश सुंडा की पैरवी दावेदार के रूप में कर रहे है लेकिन यहां का टिकट ओला परिवार से बाहर दिया जाना मुश्किल लग रहा है. 


वहीं बीजेपी शुभकरण चौधरी, राजेन्द्र भाम्बू और बबलू चौधरी को टिकट दे सकती है. वैसे ये सीट जाट मतदाता बाहुल्य है लेकिन माली मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए बीजेपी यहां से माली प्रत्याशी पर भी दांव लगा सकती है ऐसे में बीजेपी के जिला अध्यक्ष बनवारी लाल सैनी को भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है.


खींवसर विधानसभा सीट 
खींवसर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव त्रिकोणीय होने के पूरी आसार है. अगर कांग्रेस का हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोक तांत्रिक पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हुआ तो कांग्रेस और बीजेपी के अलावा बेनीवाल अपनी पार्टी से प्रत्याशी मैदान में खड़ा करेंगे. काफ़ी हद तक हनुमान के छोटे भाई और पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल को एक बार फिर टिकट मिलने की संभावना है. वैसे नारायण के अलावा हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल का नाम भी चर्चा में है.


वहीं बीजेपी की तरफ से हनुमान बेनीवाल से हारने वाली ज्योति मिर्धा को भी टिकट दिया जा सकता है. ज्योति के अलावा रेवंत राम डागा का नाम भी चर्चा में है. रेवंत राम इस सीट पर हनुमान बेनीवाल से टक्कर ले चुके है और महज 3 हज़ार मतों के अंतर से चुनाव हारे थे. एक अन्य नाम हापु राम भी संभावितों में शामिल है. हापू राम कई चुनाव से पार्टी टिकट मांगते रहे है.


इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से पूर्व जिला प्रमुख और नागौर के सांसद रहे राम रघु नाथ चौधरी की बेटी बिंदू चौधरी यहां से कांग्रेस की प्रमुख दावेदार है. उनके अलावा गहलोत सरकार में मंत्री रहे हरेंद्र मिर्धा का परिवार भी टिकटरार्थियो की दौड़ में शामिल है. हरेंद्र के बेटे और राम निवास मिर्धा के पोते रघुवेंद्र मिर्धा संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल है.


देवली-उनियारा सीट
देवली-उनियारा सीट पर सांसद बने कांग्रेस के नेता हरीश मीणा और उनके परिवार का काफ़ी असर माना जाता है. रोचक बात ये है कि यहां से मीणा और गुर्जर दोनों जातियों के प्रत्याशी दावे कर रहे है. कांग्रेस का टिकट मांगने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा के अलावा छात्र नेता नरेश मीणा का नाम प्रमुख है. इनके अलावा कांग्रेस में गांधी परिवार के नज़दीकी धीरज गुर्जर भी यहां से टिकट मांग रहे है.


इसी तरह बीजेपी से गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला यहां से प्रमुख दावेदार है.वैसे विजय बैंसला यहां से चुनाव हार चुके है. लंबे समय तक कांग्रेसी रहे विक्रम गुर्जर जो अब बीजेपी में है वो भी लगातार टिकट मांग रहे है. माली समाज से प्रभु लाल सैनी भी यहां से विधायक रहे है वो भी संभावित प्रत्याशियों की कतार में शामिल है.


सलूंबर विधानसभा सीट
सलूंबर विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य की एकमात्र ऐसी सीट है जो उपचुनाव वाली सात सीटों में से बीजेपी  के पास थी. ऐसे में बीजेपी के लिए अपनी सीट क़ायम रखने की चुनौती रहेगी. यहां से विधायक रहे अमृत लाल मीणा के बेटे अविनाश मीणा को सहानुभूति लहर के ज़रिए जिताने के लिए बीजेपी उन्हें अपना प्रत्याशी बना सकती है. अविनाश के अलावा सोनल मीणा और नरेंद्र मीणा भी यहां से बीजेपी का टिकट मांग रहे है.


वहीं कांग्रेस के पास इस सीट पर कोई प्रमुख आदिवासी चेहरा नहीं है. एक मात्र चेहरा पूर्व विधायक रघुवीर मीणा का है. रघुवीर के अलावा उनकी पत्नी बसंती मीणा को भी कांग्रेस अपना प्रत्याशी बना सकती है.


रामगढ़ विधानसभा सीट
अलवर संसदीय क्षेत्र की ये सीट हिंदू और मुस्लिम प्रत्याशियों के टकराव में हमेशा से फंसी रही है. जुबेर ख़ान जिनकी हाल में मृत्यु की वजह से उप चुनाव हो रहा है उनकी पत्नी साफ़िया जुबेर भी यहां से कांग्रेस की विधायक रही है. अब कांग्रेस यहां से साफ़िया या उनके बेटे आर्यन को अपना प्रत्याशी बना सकती है.


वहीं बीजेपी से तीन बार विधायक रहे ज्ञानदेव आहूजा को पिछले चुनाव में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था. उनकी जगह पर उनके भतीजे जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया गया था. लेकिन बीजेपी के बागी सुखवंत के सामने जय आहूजा नहीं टिक सके और जुबेर खान ने सुखवंत को हराकर चुनाव जीत लिया. अब जय आहूजा के अलावा सुखवंत सिंह टिकट की दौड़ में है.


चौरासी विधानसभा सीट
चौरासी विधानसभा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के चुनाव मैदान में ताल ठोकने की वजह से यहां त्रिकोणीय संघर्ष तय है. यहां से विधायक रहे बाप के राजकुमार रोत अब संसद पहुंच चुके है. कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता रहे महेंद्र जीत सिंह मालवीय एक बड़ा चेहरा थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी में शामिल हो गए. अब बीजेपी उन्हें प्रत्याशी बना सकती है.
 
मालवीय की पत्नी रेशम मालवीय भी आदिवासी इलाके का बड़ा चेहरा है. इसके अलावा पूर्व विधायक सुशील कटारा भी पार्टी टिकट के प्रमुख दावेदार है. बाप यहां से प्रमुख आदिवासी नेता पोपट लाल खोखरिया को टिकट दे सकती है. पोपट लाल इलाके के बेहद सक्रिय और लोकप्रिय आदिवासी नेता है. वहीं कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा पूर्व सांसद तारा चंद भगोरा का है. उन्हें भी टिकट मिल सकता है.


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