भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक, स्वास्थ्य और रोजगार सहित इन मुद्दों पर लिए गए बड़े फैसले
Rajasthan Cabinet Meeting: उप मुख्यमंत्री प्रेमचन्द बैरवा ने बताया कि मेट्रो रेल नीति 2017 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य के बीच संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया.
Rajasthan News: राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री कार्यालय में शनिवरा (3 अगस्त) को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई. बैठक में प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के विकास संचालन के लिए संयुक्त उपक्रम, अक्षय और ताप विद्युत परियोजनाओं और विद्युत प्रसारण परियोजनाओं के लिए संयुक्त उपक्रम, इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, संस्कृत शिक्षा विभाग में पदनाम परिवर्तन और चिकित्सा शिक्षा विभाग में सुपर स्पेशियलिटी शिक्षकों की कमी दूर करने से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.
उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचन्द बैरवा ने बताया कि मेट्रो रेल नीति 2017 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य के बीच संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया. यह संयुक्त उद्यम राजस्थान में वर्तमान में चल रही और भविष्य की मेट्रो रेल परियोजनाओं के विकास, परिचालन और क्रियान्वयन के लिए होगा.
दिल्ली मेट्रो, कोच्चि मेट्रो, बैंगलुरू मेट्रो, उत्तर प्रदेश मेट्रो, नोएडा मेट्रो, मध्य प्रदेश मेट्रो, नागपुर मेट्रो आदि लगभग सभी राज्यों में भी सफलता पूर्वक जेवी का यही मॉडल अपनाया गया है. मेट्रो रेल नीति-2017 के अनुसार इस जेवी को भारत सरकार से मेट्रो परियोजना लागत में वित्तीय सहयोग (अंश पूंजी और ऋण के रूप में) प्राप्त हो सकेगा. राज्य की मेट्रो परियोजनाओं के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग मिलेगा.
आरजीएचएस में क्लेम सेटलमेंट में बदलाव
राज्यवर्धन राठौड़ ने बताया कि जिन राज्य कर्मचारी और पेंशनरों ने आरजीएचएस के अलावा निजी मेडिकल इंश्योरेंस भी ले रखा है, उन्हें अब केन्द्र सरकार और सीजीएचएस के प्रावधानों से क्लेम का भुगतान किया जाएगा. पहले क्लेम का सेटलमेंट मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया जाएगा और इसके बाद बाकी राशि का क्लेम आरजीएचएस के कोटे से सेटल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजस्थान चिकित्सा सेवा (कॉलेज शिक्षा) नियम 1962 के नियम 7 के उपनियम 1 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया.
इसके अंतर्गत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में 1 अप्रैल 2020 या इसके बाद सुपर स्पेशियलिटी और सब स्पेशियलिटी में नए शुरू होने वाले विभाग में राजस्थान चिकित्सा सेवा (कॉलेज शिक्षा) नियम 1962 के नियम 24 के उपनियम 1 में वर्णित प्रक्रिया के बाद भी आचार्य, सह आचार्य के पद रिक्त रहते हैं तो इन्हें विशेष भर्ती से भरा जा सकेगा.
संस्कृत शिक्षा में इतने भर्तियों का रास्ता साफ
उन्होंने बताया कि संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अनुदेशक ग्रेड 2 और शारीरिक शिक्षा अनुदेशक ग्रेड 3 का पदनाम अब शिक्षा विभाग की तर्ज पर वरिष्ठ शारीरिक शिक्षा अध्यापक और शारीरिक शिक्षा अध्यापक किया गया. संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अध्यापक और लाइब्रेरियन ग्रेड 3 की योग्यता शिक्षा विभाग के अनुरूप की जाएगी.
भर्ती राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड के माध्यम से शिक्षा विभाग की भर्तियों के साथ ही हो सकेगी. इस प्रकार संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अध्यापक के 179 और लाइब्रेरियन ग्रेड 3 के 48 पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होगा. संस्कृत शिक्षा विभाग में अध्यापक लेवल 1 व लेवल 2 और अध्यापक (सामान्य) लेवल 1 और लेवल 2 के पदों की योग्यता प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुरूप की जाएगी.
इस प्रकार लगभग 2600 पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होगा. संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान सेवा नियम 1951 में आवश्यक अस्थाई आधार पर नियुक्ति और पदोन्नति किए जाने पर वेतन निर्धारण के संबंध में स्पष्ट प्रावधान नहीं है. अब सेवा नियम में नियम 26 डी जोड़कर आवश्यक अस्थाई आधार पर नियुक्ति और पदोन्नति पर वेतन निर्धारण किए जाने का प्रावधान किया जा रहा है.
SC/ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने बीते 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के अंदर सब-क्लासिफिकेशन करने का संवैधानिक अधिकार है. इसके तहत उन जातियों को रिजर्वेशन मिल सकेगा जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के संस्थापक और लोकसभा सांसद राजकुमार रोत की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि वे इस फैसले का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे एससी-एसटी समुदायों में विभाजन होगा.
‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला एससी-एसटी के बीच तोड़ेगा एकता’
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि हर राज्य में एससी-एसटी समुदाय की स्थिति अलग-अलग है. इस फैसला एससी-एसटी के बीच एकता को तोड़ने का काम करेगा. अगर हमारे राज्य में एसटी के बीच असमानता है, तो हमारे लोग, सामाजिक संगठन, सांसद और विधायक एक साथ बैठ कर निर्णय ले सकते हैं और सरकार को प्रस्ताव दे सकते हैं कि क्या किया जाना चाहिए.
सांसद ने कहा सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आदिवासियों और एससी के बीच एकता को तोड़ देगा. राजस्थान में ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी. प्रदेश में जब नौकरियों की बात आती है तो वास्तव में अनुसूचित और गैर-अनुसूचित क्षेत्रों पर चर्चा होती है. इसका समाधान समुदाय को बांटकर नहीं बल्कि संबंधित क्षेत्रों के आधार पर किया जा सकता है.
‘आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण गलत’
BAP पार्टी नेता ने कहा कि अगर आप समुदाय को निशाना बनाते हो तो इससे संघर्ष पैदा होगा, जो केंद्र की बीजेपी सरकार चाहती है. वो कह रहे है कि कमजोर वर्गों को नौकरी देंगे लेकिन सरकार उनकी पहचान कैसे करेगी. जबकि एसटी को उसके पिछड़ेपन के लिए नहीं बल्कि सामाजिक पहचान के आधार पर आरक्षण दिया गया है, लेकिन जिस तरह से आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण देने की बात कही जा रही है वो गलत है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में आरक्षण खत्म हो जाएगा.
सासंद ने कहा खास समुदायों को आपस में लड़ाने के लिए लाए गए इस फैसले का वे समर्थन नहीं करते. उन्होंने कहा अब अगर एससी-एसटी में विभाजन हो जाता है तो भविष्य में अगर आरक्षण पर हमला हुआ तो लोग एकजुट होकर इसका विरोध नहीं कर पाएंगे.
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