Rajasthan Camel Festival: रेतीले धोरों के रेगिस्तान में अगर ऊंट नहीं होता, तो यहां जीवन जीना संभव नहीं होता. ऊंट एक मजबूत जानवर है, जो हमेशा से स्थानीय लोगों को रेगिस्तान में जीवित रहने में मदद करता है. इस 'रेगिस्तान के जहाज' के लिए बीकानेर हर साल ऊंट महोत्सव की मेजबानी करता है. पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार की एक पहल से बीकानेर कैमल फेस्टिवल में उत्सव अन्य उत्सवों के जैसा ही होता है.


इसकी मेजबानी राजस्थान सरकार करती है. बीकानेर ऊंट महोत्सव राज्य के सबसे रंगीन और जीवंत त्योहारों में से एक है. इस उत्सव में ऊंटों की दौड़, ऊंटनी दुहना, ऊंटों के बालों की आकर्षक कटाई, ऊंट और ऊंटनी नृत्य जैसे कई आयोजन किये जाएंगे.


13 से 15 जनवरी तक कैमल महोत्सव


रेगिस्तान के रेतीले धोरों में ऊंट अपनी ताकत, सहनशक्ति और सुंदरता के लिए हमेशा से प्रसिद्ध है. ऊंट हमेशा से रेगिस्तान और बीकानेर का एक अभिन्न अंग रहा है. बीकानेर में इस साल 13 से 15 जनवरी तक कैमल महोत्सव के उत्साह से रेगिस्तान के जहाज का जश्न मनाया जाएगा. इस महोत्सव को देखने स्थानीय लोग और पर्यटक यहां पहुंचते हैं. ऊंट प्रजनन को भी इस महोत्सव में बढ़ावा देते हैं. ऊंट पालने और प्रशिक्षण की सदियों पुरानी परंपरा है. 


ऊंट दिखाते हैं करतब


बीकानेर के इस कैमल फेस्टिवल 2023 का महोत्सव में ऊंटों को पारंपारिक हार, पायल और चमकीले रंग की लगामों से सजाया जाता है. खूबसूरत ऊंटो का उत्सव जुलूस के साथ शुरू किया जाएगा. ऊंटों की रैली में खूबसूरत ऊंटों की परेड जूनागढ़ किले से शुरू होती है और डॉक्टर करण सिंह स्टेडियम पर समाप्त होती है. इस महोत्सव में ऊंट मालिक अपने ऊंटों को खुबशुरत सजाते हैं. इस महोत्सव में ऊंटों के कई करतब देखने को मिलते हैं.


कैमल फेस्टिवल में पर्यटक को और स्थानीय लोगों के लिए कई तरह की प्रतियोगिताएं भी की जाती है. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए रस्साकशी और महिलाओं के लिए वाटर पोर्ट रेश भी शामिल है. इस महोत्सव में पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, ग्रामीण कुश्ती, कबड्डी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ रंग-बिरंगी झालरों से सजे ऊंट और संगीत से दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.


पतंगबाजी पर लगाम लगाने के लिए लगाई गई धारा 144, जानिए क्या है पतंग महोत्सव से जुड़े नियम