राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में पहली बार दिखा दुर्लभ जानवर स्याहगोश, जानें क्यों है खास
Caracal in Rajasthan: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में पहली बार कैराकल की तस्वीर कैद हुई, जिसे वन मंत्री संजय शर्मा ने शेयर किया. यह दुर्लभ प्रजाति अब केवल राजस्थान और गुजरात में ही पाई जाती है.

Caracal Spotted in Rajasthan: होली के रंगीन अवसर पर राजस्थान वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि शेयर की है. राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री संजय शर्मा (Sanjay Sharma) ने मंगलवार (14 मार्च) को ट्वीट कर बताया कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व (Mukundra hills Tiger Reserve) में पहली बार कैराकल की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग की गई है.
मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "इस जीवंत होली के दिन, राजस्थान वन विभाग मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में कैराकल की पहली फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग साझा करने के लिए उत्साहित है."
कैराकल क्या हैं?
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के दर्जनों देशों में पाई जाने वाली कैराकल मुख्य रूप से एक रात्रिचर बिल्ली प्रजाति है जो अपनी लंबी, नुकीली और काले गुच्छों वाली कानों के कारण पहचानी जाती है. यही इसे अन्य बिल्लियों से अलग बनाते हैं, जिससे इस जानवर को यह नाम मिला है. कैराकल शब्द तुर्की शब्द 'करकुलक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'काले कान'.
इन बिल्लियों को उड़ते हुए पक्षियों को पकड़ने की उनकी क्षमता के कारण महत्व दिया जाता था और मध्यकालीन भारत में ये शिकारी जानवर थे, जिनका वर्णन ख़म्सा-ए-निज़ामी और शाहनामा तथा तूतीनामा जैसे ग्रंथों में मिलता है.
गंभीर संकट में जंगली बिल्लियां
एशिया में जंगली बिल्लियों की संख्या तेजी से घटी है, और भारत में यह 50 से भी कम रह गई है, जो अब केवल राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं. स्वतंत्रता से पहले 2000 तक इनकी आबादी आधी रह गई थी, जबकि 2001 से 2020 के बीच 95% से अधिक की गिरावट हुई. विशेषज्ञों के अनुसार, आवास की क्षति और बढ़ते शहरीकरण के कारण इनका मुख्य भोजन—छोटे खुर वाले जानवर और कृंतक—दुर्लभ हो रहे हैं, जिससे इनका अस्तित्व संकट में है.
वन विभाग के अनुसार, हाल ही में हुए विंटर फेज- IV सर्वे के दौरान लगाए गए कैमरा ट्रैप में इस दुर्लभ छोटे बिल्ली प्रजाति के कैराकल की तस्वीर कैद हुई. यह वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों की सफलता का प्रतीक है. वन विभाग का मानना है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व की कड़ी सुरक्षा प्रणाली न केवल बाघों के लिए बल्कि कैराकल जैसे दुर्लभ प्राणियों के संरक्षण के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है.
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व के फील्ड स्टाफ को इस सफलता का श्रेय देते हुए मंत्री ने कहा कि उनकी मेहनत और समर्पण, चाहे त्योहार हो या अवकाश, हमेशा वन्यजीव संरक्षण के प्रति अडिग रहता है. यह रिकॉर्डिंग न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के लिए वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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