Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) के सरकारी स्कूलों में अब हफ्ते में एक दिन बच्चे शतरंज से शह-मात का खेल खेंलेंगे. शिक्षा विभाग ने इसको लेकर कवायद शुरू कर दी है. विभाग ने विशेष योजना बनाकर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को शतरंज बोर्ड खरीदने के निर्देश दिए है. विभाग का मानना है की शतरंज बोर्ड से बच्चों का रुझान मोबाइल और टीवी से हटाकर खेल की तरफ मूड जायेगा. इसके लिए स्कूल में खेल मैदान की आवश्यकता भी नहीं है.
जिसकी रूचि होगी, वो ही खेला शतंरज- शिक्षा विभाग के निदेशक
शिक्षा विभाग के निदेशक गौरव अग्रवाल ने बताया की विभाग ने किसी भी स्कूल में शतरंज बोर्ड खरीदने की कोई संख्या निर्धारित नहीं की गई है. बच्चों की संख्या के अनुसार जितने शतरंज बोर्ड की आवश्यकता हो उतने ख़रीदे जा सकते है. इस अभियान से सभी बच्चों को खेल का अवसर मिलेगा. उनकी रूचि पढाई के साथ खेलो में भी होगी. उन्होंने ने बताया कि खेल में शामिल होने के लिए किसी भी कक्षा के बच्चे की उम्र की बाध्यता भी नहीं रखी गई है. जिसकी रुचि होगी वो ही बच्चा शामिल हो सकेगा. निदेशक गौरव अग्रवाल ने बताया की स्कूलों में शतरंज बोर्ड खरीदने के लिए विभाग की और से बजट जारी नहीं किया जाएगा. हमने सभी शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए है की वे स्कूलों में समसा कार्यालय की ओर से आवंटित स्पोर्ट्स ग्रांट की राशि का उपयोग में ले जिसकी सूचना भी विभाग को देनी होगा.
शनिवार होगा शतरंज खेल का दिन
प्रदेश के 65 हजार सरकारी स्कूलों में मानक शतरंज बोर्ड खरीद करने के निर्देश दिए है. जिसमे प्रारंभिक तथा माध्यमिक स्कूल शामिल है. एडीओ ओम प्रकाश गोस्वामी ने बताया की सरकार की ओर से स्कूलों में शनिवार को नो बैग डे घोषित किया हुआ है. इसी दिन महीने के तीसरे शनिवार को शतरंज खेल की गतिविधियों के लिए रखा गया है. विभाग ने छात्रों में खेलों के प्रति आकर्षण करने के लिए लाइव टेलीकास्ट करने का फैसला लिया है. यहां निदेशालय बीकानेर में होने वाली अंतरराष्ट्रीय ग्रांड शतरंज प्रतियोगिता का स्कूलों में लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा. जिन-जिन स्कूलों में इंटरनेट की व्यवस्था है और स्मार्ट कक्षा कक्ष है, लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा. साथ ही स्थानीय विद्यार्थियों को आयोजन स्थल की विजिट भी कराई जाएगी. ताकि बच्चे प्रेरित हो सके.
बच्चों कों खेल से जोड़ना उद्देश्य
शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि स्कूली बच्चों में खेल के प्रति रुझान पैदा हो. वर्तमान में बच्चे पढाई के साथ-साथ मोबाइल में अधिक समय बिता रहे हैं जोकि आने वाले समय में बहुत घातक स्थिति पैदा कर देगा. इसलिए शतरंज खेल के प्रति रुझान पैदा करने के लिए स्कूलों में शतरंज खेल की गतिविधियां शुरू करने का निर्णय किया है. ताकि बच्चों का दिमाग मजबूत होगा और उनका ध्यान दूसरी जगह से नहीं लगेगा. हालांकि विभाग ने ऐसे शिक्षकों को भी निर्देश दिया है जो इन खेलों को समझता हो और बच्चों को मोहरे चलाना सिखाएंगे. जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं है वहां यूट्यूब का सहारा लिया जाएगा.