Bharatpur News: भरतपुर में 'परंपरा' के नाम पर अंधविश्वास, बच्चों के सिर पर मुर्गा घुमाकर किया जाता है ये दावा
Rajasthan: भरतपुर में लगने वाले मेले में महिलाएं सालों पुरानी परंपरा के माध्यम से बच्चों को आशीर्वाद दिलाती हैं. इस परंपरा को लेकर स्थानीय लोग कई तरह के दावे करते हैं.
Bharatpur News: भारतीय संस्कृति (Indian Culture) विश्व के सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक है. यहां कई रीति रिवाज सदियों से चले आ रहे हैं, जिनका पालन इस वैज्ञानिक युग में भी लोग पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं. इसी तरह राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर जिले (Bharatpur) का कुएं वाली जात मेला भी अपने विचित्र रिवाज के लिए प्रसिद्ध है.
इस मेले में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने छोटे बच्चे को लेकर आती हैं, जहां वह मेले में मौजूद मुर्गे वालों से बच्चों के सिर पर, मुर्गों को घुमवाकर आशीर्वाद लेती हैं, इस काम के लिए वे मुर्गे वालों को पैसे भी देती हैं.
मेले में मुर्गों से आशीर्वाद दिलाने वाले लोगों की अच्छी कमाई हो जाती है. इस मेले का आयोजन हर साल होता है, जिसमें महिलाएं बच्चों को लेकर पहुंचती हैं. सोमवार (19 जून) को भी मेले में महिलाएं अपने बच्चों को लेकर पहुंचीं. यहां महिलाओं ने बच्चों का मुंडन कराने के बाद झाड़ फूंक करवाया, साथ ही उनके सिरों पर मुर्गों को घुमाकर आशीर्वाद दिलवाया. जानकारी के अनुसार बच्चों का मुंडन कराने और उनको नजर, भूत- प्रेत के साए से बचाने के लिए मुर्गे द्वारा आशीर्वाद दिलाया जाता है. ये मेला साल में एक बार ही लगता है.
मेले में आई एक महिला ने किया ये दावा
जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास ही कुएं वाली जात के नाम से यह मेला लगता है, जहां सैकड़ों की संख्या में महिलाएं अपने छोटे बच्चों को लेकर आती हैं और वहां मुर्गे वाले भी खूब कमाई करते हैं. वे बच्चों के सिर पर मुर्गा फेरते हैं और उनको मुर्गे द्वारा आशीर्वाद दिलाने का दावा करते हैं.
इसी मेले में बच्चे का मुंडन कराने आई विमला देवी ने नाम की एक महिला ने बताया कि ये परंपरा बहुत पुरानी है. इसमें नवजात बच्चों का मुंडन कराया जाता है इसलिए मैं भी अपने नाती का मुंडन कराने आई हूं. बच्चों के सिर पर मुर्गा घुमाकर आशीर्वाद दिलाते हैं, उनका मानना है कि यह बच्चों को बुरे साये से दूर रखता है.
मुर्गा घुमाने वाले ने बताया पुरानी है ये परंपरा
मेले में मुर्गा घुमाने वाले से जब इसके बारे में बात की गई तो उसने बताया कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. जब उससे अधंविश्वास को लेकर सवाल किया गया तो इसने इस बात से इनकार करते हुए कहा कि मेले में पूजा-अर्चना के बाद नवजात बच्चों का मुंडन कराया जाता है. फिर उनके सिर पर मुर्गा घुमाकर आशीर्वाद दिलाया जाता है. सोमवार (19 जून) को भी आशीर्वाद लेने आए बच्चों के सिरों पर मुर्गा घुमाया जा रहा है.