Rajasthan: कड़ाके की सर्दी में कहीं आपको तो नहीं हो गया 'चिल ब्लेन', विशेषज्ञों से जानें इसके लक्षण और इलाज
Kota News: डॉ. सुधीर उपाध्याय ने बताया कि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कमजोर इम्यूनिटी, कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान के साथ शराब का अधिक सेवन करने वाले लोग चिल ब्लेन बीमारी की चपेट में आते हैं.
Rajasthan Weather: राजस्थान के कोटा (Kota) में इस समय सर्दी के तीखे तेवर देखने को मिल रहे हैं. कोटा में सुबह के समय कई बार हल्की बर्फ भी जम जा रही है. कोटा का स्टेशन क्षेत्र ऐसा है, जहां शहर के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले तापमान चार से पांच डिग्री और कई बार 6 डिग्री तक कम हो जाता है. ऐसे में यहां पर सर्दी अधिक होती है. स्टेशन क्षेत्र में सर्दी अधिक होने की वजह यह है कि आर्मी कैंट एरिया होने से यहां घना जंगल है और इन पेड़ पौधों के कारण ही यहां सर्दी अधिक है. साथ ही आसपास के पूरे क्षेत्र में खेती की जमीन है और खुले वातावरण से भी सर्दी ज्यादा रहती है.
स्टेशन क्षेत्र में सर्दी के सीजन में कई बार पारा दो डिग्री और एक डिग्री तक भी पहुंच जाता है. पेड़ों के पत्तों पर हल्की बर्फ की चादर भी देखी जाती है. इस बीच सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को आती है, जो पानी में काम करते हैं या उन्हें एलर्जी है. ऐसे लोगों को चिल ब्लेन की शिकायत भी अधिक देखने को मिलती है. वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर सुधीर उपाध्याय के अनुसार हर साल उनके पास 10 से 15 पेशेंट चिल ब्लेन के आते हैं, जिसमें त्वचा पूरी तरह से जल जाती है. साथ ही फफोले पड़ जाते हैं, पैरों की उंगलियों पर, चेहरे पर लाल चक्ते पड़ जाते हैं.
डायबिटीज और बीपी पेशेंट को ज्यादा खतरा
डॉ. सुधीर उपाध्याय ने बताया कि सर्दी से चिल ब्लेन की बीमारी के कारण हाथों और पैरों की उंगलियों में खुजली के साथ जलन और घाव तक हो जाते हैं. मेडिकल कॉलेज एमबीएस सहित कई अस्पतालों में भी इस तरह के मरीज पहुंच रहे हैं. डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह बीमारी उन लोगों को अधिक होती है, जिन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या जिनकी कमजोर इम्यूनिटी हो. इसके साथ ही धूम्रपान कोलेस्ट्रॉल और शराब का अधिक सेवन करने वाले लोग भी इसकी चपेट में आते हैं.
क्या होता है चिल ब्लेन?
वहीं सीनियर फिजिशियन डॉ. दुर्गाशंकर सैनी का कहना है कि इस बीमारी से महिलाएं अधिक पीड़ित होती है, क्योंकि वह सुबह जल्दी उठकर काम करती हैं. उन्हें पानी में काम करना होता है, तापमान कम रहता है और ठंड अधिक होने के कारण यह बीमारी महिलाओं में अधिक पाई जाती है. डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि कम तापमान से कोशिकाओं की क्रियाशीलता कम हो जाती है साथ ही रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती है. इससे रक्त संचार कम हो जाता है और शरीर के अंदर रक्त की पूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती है. इस वजह से शरीर की छोटी रक्त वाहिनियों में सूजन आ जाती है, गाल और हाथ पैर की उंगलियों में सूजन दिखाई देती है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचाव ही बड़ा उपचार है.