Bharatpur News: राजस्थान में बाल विवाह (Child Marrige) की परंपरा कई पीढियों से चली आ रही है. विवाह धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. बाल विवाह सभी जातियों में प्रचलित था, लेकिन कुछ जातियों में इसका चलन ज्यादा था. यह रिवाज भी था की एक ही परिवार कई लड़कियों की शादी एक साथ कर दी जाती थी. इसे जिससे आर्थिक दृष्टि से भी सही माना जाता था.
ये हैं बाल विवाह के दुष्प्रभाव
हालांकि, बाल विवाह की प्रथा महिलाओं के लिए ज्यादा घातक सिद्ध हुई. इससे उनकी शिक्षा रुक गई. कम उम्र में उनके बच्चे हो जाने से उनका शारीरिक विकास रुक गया और संतान भी हष्ट पुष्ट नहीं हो सकी.
नहीं होती मुहुर्त निकलवाने की जरूरत
राजस्थान के लगभग 16 जिलों में बाल विवाह की कुप्रथा सर्वाधिक प्रचलित है. राजस्थान में बाल विवाह की अभिशाप मानते हुए सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए और आमजन को इसके बारे में बताने के लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. आखातीज 22 अप्रैल को है और पीपल पूर्णिमा 5 मई को. ये दोनों अबूझ सावा माने जाते हैं. अबूझ सावा में मुहूर्त निकलवाने की जरूरत नहीं होती है. इस कारण लोग आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह कर देते हैं.
ये करेंगे सरकारी कर्मचारी
समय-समय पर सरकार द्वारा भी बाल विवाह रोकने के लिए इंतजाम किए जाते हैं. मुखबिर द्वारा बाल विवाह की जानकारी लेने के लिए अब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है. बल विवाह की रोकथाम के लिए टास्क फ़ोर्स का गठन भी किया गया है. इसमें ब्लॉक स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर कर्मचारी बल विवाह की जानकारी लेकर उनको रुकवाने के प्रयास करेंगे.
तय की गई है जवाबदेही
प्रशासन द्वारा सबकी जवाबदेही तय कर दी गई है. अगर कहीं भी क्षेत्र में बाल विवाह हॉट अहइ तो इसकी सूचना आशा सहयोगिनी ,ग्राम विकास अधिकारी ,पटवारी ,बीत कांस्टेबल ,साथिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता प्रशासन को बाल विवाह की सूचना देंगे.
कार्ड पर जन्मतिथि लिखने के दिए थे निर्देश
बाल विवाह की रोकथाम के लिए तत्कालीन जिला कलेक्टर ने शादी के कार्ड में वर और वधु की जन्मतिथि भी अंकित करने के प्रेस वालों को निर्देश दिए थे. शहरों में तो इस आदेश का पालन किया गया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में एक साथ दो-तीन लड़कियों की शादी कर दी जाती है. अन्य जो लड़कियों की शादी होती है, उनकी उम्र 18 वर्ष से कम ही होती है. उनकी शादी का कार्ड भी नहीं छपता है. इसके लिए सारी बातें पहले ही तय कर ली जाती हैं. बड़ी बहन की शादी के समय छोटी बहनों की शादी भी हो जाती है.
बाल विवाह रोकने को कंट्रोल रूम
आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर बाल विवाह रोकने के लिए उपखंड स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किये गए हैं. कहीं भी बाल विवाह होता है तो इसकी सूचना उपखंड कार्यालय में बने कंट्रोल रूम में या नजदीक पुलिस स्टेशन पर भी दे सकते हैं.
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