Rajasthan Child Marriage: बाल विवाह के लिए बनाए गए सख्त कानून के बाद भी बाल विवाह हो रहे हैं, ये बात हाल ही में किए गए सर्वे में सामने आई है. देश में राजस्थान बाल विवाह में अब भी सांतवे स्थान पर है. सरकार की तमाम योजनाएं और विभाग इस अभिशाप को रोकने में नाकाम रहे हैं. अब भी राज्य में हर चौथी बालिका ‘वधू’ बन रही है. प्रदेश में अब भी 25.4 फीसदी  बालिकाओं को बाल्यावस्था (18 वर्ष से कम) में ही विवाह हो रहा है. सरकार और प्रशासन की ओर से फिलहाल इसकी रोकथाम व जागरूकता के लिए तैयारियां तक शुरू तो कर दी गई हैं, लेकिन वह केवल खानापूर्ति है. बाल अधिकारिता विभाग, समाज कल्याण विभाग और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के भरोसे ही बड़ी जंग को जीतने की उम्मीद बेमानी है.


 राज्य में शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के आंकड़े


राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की ओर से वर्ष 2019-21 तक किए गए नवीनतम सर्वे में अधिक बाल विवाह वाले राज्यों में राजस्थान सातवें स्थान पर है. राज्य में 25.4 फीसदी  बालिकाओं का बाल विवाह होना पाया गया. वहीं कोटा जिले में 13.2 फीसदी  बाल विवाह हो रहे हैं. यानी हर चार बालिकाओं में से एक का बाल विवाह कर दिया जाता है. राज्य में शहरी क्षेत्रों में अब भी 15.1 फीसदी  तो ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3 फीसदी  बालिकाओं के विवाह किए जा रहे हैं.


चित्तौड़ सबसे आगे, झालावाड़ बर पर


राज्य में बाल विवाह के मामलों में चित्तौड़ जिला सबसे आगे है. यहां 42.6 फीसदी बाल विवाह होना पाया गया. इसके बाद भीलवाड़ा 41.8 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि झालावाड़ में 37.8 फीसदी बाल विवाह के साथ तीसरे स्थान पर है. राज्य में सबसे कम बाल विवाह पाली जिले में 11.8 फीसदी  होना पाया गया.


बाल अधिकारिता विभाग, कोटा के सहायक निदेशक डॉ. अजीत शर्मा ने कहा कि  बाल विवाह को रोकने के लिए तेजी से प्रयास कर रहे हैं, थानों को भी सूचित कर दिया है, चाइल्ड लाइन को भी निर्देशित किया है, पूरी तैयाारी है.


देश के सबसे ज्यादा बाल विवाह वाले राज्य
राज्य फीसदी 
पश्चिम बंगाल 41.6
बिहार 40.8
त्रिपुरा 40.1
झारखंड 32.2
असम 31.8
आंध्र प्रदेश 29.3
राजस्थान 25.4
तेलंगाना 23.5
अरुणाचल प्रदेश 18.9


(आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार)


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