Rajasthan Holi News: निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति के लिए छतों पर चढ़कर लोग करते हैं गैर नृत्य, जानें यहां कैसे मनाई जाती है होली?
होली 18-19 मार्च को देशभर में मनाई जाएगी. आज होलिका दहन है. होली और होलिका दहन को लेकर कुछ परंपराएं सालों से चली आ रही हैं जिन्हें जानकर आपको हैरानी होगी?
आज होलिका दहन है और शुक्रवार को धुलंडी (HOLI) खेली जाएगी. होली को देशभर में लोग अलग-अलग तरीके से मनाते आए हैं. राजस्थान के उदयपुर संभाग की बात करें तो यहां पत्थर मार होली, कंडों की राड़, अंगारों पर चलने वाली परंपरा की होली तो खेली ही जाती है इसके अलावा यहां निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति के लिए भी अनूठी होली होती है.
यह होली उदयपुर संभाग के डूंगरपुर जिले यानी कहें तो वागड़ क्षेत्र में खेली जाती है. वागड़ की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं है. यह सामाजिक एकता व परंपरा के निर्वाह का अनूठा अवसर है.
गणेशपुर गांव में होलिका दहन को इस नाम से जाना जाता है
शादी के बाद लंबे समय तक संतान नहीं होने पर समाज को गैर नृत्य खेलने के लिए आमंत्रित जाता है. इस दौरान घर की छत या केलू पोश मकान, इस पर चढ़ कर गैर नृत्य खेला जाता है. इस दौरान केलू भी फूट जाते हैं. यहां पर गैर नृत्य के जरिए दंपति को दुआ देते हुए गोद भराई की रस्म की जाती है.
वहीं दूसरी अनोखी परंपरा की बात करें तो जिले के गणेशपुर गांव में होलिका दहन को स्थानीय बोली में बुड्डा बुड्डी कहा जाता है. इस होलिका को दहन करने के लिए दूर दूर से लोगों को आमंत्रित किया जाता है.
ग्रामीणों ने बताया कैसे होती है ये अनोखी होली?
जिले के रहने वाले रामशंकर रोत ने बताया कि किसी के लंबे समय से संतान नहीं होने पर इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है. इस दौरान दपंति व परिवार की तरफ से समाज को गैर खेलने के लिए आमंत्रित किया जाता है. उस दौरान ढोल, कुंडी लेकर यहां पर नृत्य का आयोजन होता है.
गोद भराई की रस्म अदा की जाती है. इस दौरान घर की छत या केलुपोश घर पर चढ़ कर नृत्य किया जाता है. इस दौरान केलू भी टूट जाते हैं. गुड़ को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. आने वाली होली से पहले संतान प्राप्ति की दुआ दी जाती है. मन्नत पूरी होने पर आगामी होली पर फिर से गेर नृत्य कराने का लक्ष्य रखा जाता है.
पीढ़ी दर पीढ़ी से यह परंपरा चली आ रही है. संतान प्राप्त होने पर परिवार का भार कम हो जाएगा. इससे वंश आगे बढ़ता है. इस दौरान दान पुण्य किया जाता है. समाज की 5 कन्या को चुनड़ी देने की परंपरा है.
इसे भी पढ़ें:
Rajasthan Weather: पश्चिमी राजस्थान में आसमान से बरसने लगी आग, बाड़मेर में रहा 43 डिग्री तापमान