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Rajasthan News: अब राजस्थान के सरकारी स्कूलों में 3 साल के बच्चों का होगा प्रवेश, सरकार ने बनाई यह योजना
राजस्थान सरकार हैप्पी शाला के रूप में प्री नर्सरी की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए RSCERT ने तैयारी पूरी कर ली है और अगले सत्र से इसकी शुरुआत हो जाएगी.
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Udaipur News: राजस्थान के सरकारी स्कूलों में प्रवेश 5 साल की उम्र होने के बाद होता आया है. इससे पहले बच्चे 3 साल तक आंगनवाड़ी में पढ़ाई करते थे. इसके बाद 3-5 साल तक गैप हो जाता था. ऐसे में कई बच्चों के अभिभावक एलकेजी और यूकेजी की पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों में प्रवेश करवा देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब राजस्थान में हैप्पी शाला के रूप में प्री नर्सरी की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए RSCERT ने तैयारी पूरी कर ली है और अगले सत्र से इसकी शुरुआत हो जाएगी.
आंगनवाड़ी में ही हैप्पी शाला कॉन्सेप्ट
दरअसल, यह प्री नर्सरी आंगनवाड़ियों में भी संचालित होगा. इसके लिए प्रदेश की हजारों आंगनवाड़ी उनके क्षेत्र के बड़े सरकारी स्कूलों में मर्ज हो चुकी हैं. अब तक आंगनवाड़ियों में बच्चों के न्यूट्रीशियन, हेल्थ, टीके पर काम किया जाता आ रहा है. अब यहां पर यह तो काम होगा ही इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी होगी. जैसे 3 साल तक आंगनवाड़ी में बच्चों के हेल्थ पर ध्यान दिया जाएगा. जो हमेशा से होता आ रहा है. तीन साल बाद बच्चे एकेडमिक में जोड़ दिया जाएगा. जो 6 साल तक रहेगा और इसी वर्ष बच्चे को उसी स्कूल में प्रवेश दे दिया जाएगा. इससे बच्चों का स्कूल नहीं छूटेगा और लगातार शिक्षा से जुड़ा रहेगा.
टीचर की ट्रेनिंग हुई और किताबें भी बनी
RSCERT के अधिकारी कमलेन्द्र सिंह राणावत ने बताया कि इंदिरा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पिछले वर्ष इसकी शुरुआत जो चुकी है, लेकिन यह अन्य सरकारी विद्यालयों से अलग है. आंगनवाड़ी की हैप्पी पाठशाला के लिए 2,000 शिक्षकों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. जिन्हें बताया गया है कि बच्चों को कैसे पढ़ना है. साथ ही बच्चों के लिए किताबें भी बन चुकी है. इसमें हेल्थ वाला पार्ट चिकित्सा विभाग का होगा और एकेडमिक शिक्षा विभाग का इसके शुरुआत होने के बाद बच्चों को काफी फायदा होगा.
खेल-खेल में देंगे शिक्षा
इन बच्चों के लिए को पढ़ाई का बोझ नहीं देंगे. सिलेबस को ऐसे बनाया गया है कि बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाएगी. जो 2000 शिक्षक ट्रेनिंग ले चुके हैं वह अन्य को प्रशिक्षण देंगे. इसे बच्चों में शिक्षा का विकास होगा.
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