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Rajasthan Election 2023: चुनाव से पहले सीएम गहलोत कर रहे मेवाड़ का ताबड़तोड़ दौरा, जानें- क्या हैं इसके मायने?
Rajasthan News: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के मेवाड़ दौरे को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह चुनाव से पहले कांग्रेस की स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार यहां आ रहे हैं.
Rajasthan Politics News: सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) मंगलवार को उदयपुर (Udaipur) दौरे पर हैं, वह पिछले हफ्ते भी उदयपुर दौरे पर थे और अपना जन्मदिन यहीं बनाया था. पिछले हफ्ते झाड़ोल और कोटड़ा विधानसभा और अब मावली, उदयपुर शहर विधानसभा और वल्लभनगर विधानसभा का दौरा करेंगे. यहीं नहीं पिछले एक साल में इन दोनों के अलावा सीएम गहलोत 15 दौरे मेवाड़ के कर चुके हैं.
वहीं सभी के मन में सवाल है कि आखिर सीएम गहलोत को बार-बार मेवाड़ क्यों आना पड़ रहा है. इसको लेकर राजनीति गलियारों में कई चर्चाएं हो रही हैं. कहा जाता है कि जिसने मेवाड़ जीता सरकार उसकी होती है. हालांकि पिछले चुनाव में यह किवंदती काम नहीं आई क्योंकि यहां बीजेपी बढ़त में थी फिर भी सरकार कांग्रेस की बनी. आइए सीएम गहलोत के यहां आने के पीछे क्या चर्चाएं चल रही हैं...
उदयपुर में अच्छा नहीं कांग्रेस का रिकॉर्ड
उदयपुर जिले की बाद करें तो यहां कांग्रेस कमजोर है. 20 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखड़िया के समय मजबूत थी लेकिन अब वह स्थिति नहीं है. मेवाड़ की प्रमुख सीट माने जाने वाली उदयपुर शहर में बीजेपी से विधायक रहे गुलाब चंद कटारिया जो असम राज्यपाल है, उनका यहां एकछत्र राज था. जो भी सामने खड़ा हुआ उसको मात खानी पड़ी. अब वह यहां नहीं है जिससे कांग्रेस के पास इस सीट को जीतने का मौका है. लेकिन कांग्रेस ऊपर नहीं उठ पा रही है. यहां कांग्रेस लंबे समय से अध्यक्ष तक नियुक्त नहीं कर पा रही है. निवर्तमान अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं. साथ ही मुस्लिम समुदाय भी नाराज चल रहा है. यहां ऐसा कोई चेहरा नहीं जिससे उदयपुर शहर सीट के लिए उम्मीदवार सीधे तौर पर माना जाए.
उदयपुर जिले की बाद करें तो यहां कांग्रेस कमजोर है. 20 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखड़िया के समय मजबूत थी लेकिन अब वह स्थिति नहीं है. मेवाड़ की प्रमुख सीट माने जाने वाली उदयपुर शहर में बीजेपी से विधायक रहे गुलाब चंद कटारिया जो असम राज्यपाल है, उनका यहां एकछत्र राज था. जो भी सामने खड़ा हुआ उसको मात खानी पड़ी. अब वह यहां नहीं है जिससे कांग्रेस के पास इस सीट को जीतने का मौका है. लेकिन कांग्रेस ऊपर नहीं उठ पा रही है. यहां कांग्रेस लंबे समय से अध्यक्ष तक नियुक्त नहीं कर पा रही है. निवर्तमान अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं. साथ ही मुस्लिम समुदाय भी नाराज चल रहा है. यहां ऐसा कोई चेहरा नहीं जिससे उदयपुर शहर सीट के लिए उम्मीदवार सीधे तौर पर माना जाए.
इस रणनीति पर काम कर रहे हैं सीएम गहलोत
वैसे मेवाड़ में 28 सीटें हैं जिसमें 15 बीजेपी, 11 कांग्रेस 2 बीटीपी है. लेकिन मुख्य रूप से उदयपुर जिले की 8 विधानसभा की बात करें तो यहां 6 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस है. सीएम का पिछले हफ्ते जो दौर हुआ उसमें कोटड़ा और झाड़ोल विधानसभा कवर हुआ जहां बीजेपी के विधायक है, अब मंगलवार को मावली और उदयपुर शहर का दौरा है जहां भी बीजेपी है. इसके अलावा वल्लभनगर जाएंगे जहां कांग्रेस के विधायक हैं. इस स्थिति को देखकर कह सकते हैं कि जहां कांग्रेस कमजोर पड़ रही है वहां दौरे हो रहे हैं. कांग्रेस इस 8 सीटों में कम से कम 6 पर तो कब्जा चाहती है. उदयपुर संभाग जनजातीय क्षेत्र है, जिसमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ तो पूर्ण टीएसपी क्षेत्र घोषित है. यहां बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. इन वोटर को लुभाने के लिए सीएम गहलोत लगातार ग्रामीण क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं. यहीं नहीं लोगों से खुद जाकर मिल रहे हैं और उनके घर खाना तक खा रहे हैं.
वैसे मेवाड़ में 28 सीटें हैं जिसमें 15 बीजेपी, 11 कांग्रेस 2 बीटीपी है. लेकिन मुख्य रूप से उदयपुर जिले की 8 विधानसभा की बात करें तो यहां 6 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस है. सीएम का पिछले हफ्ते जो दौर हुआ उसमें कोटड़ा और झाड़ोल विधानसभा कवर हुआ जहां बीजेपी के विधायक है, अब मंगलवार को मावली और उदयपुर शहर का दौरा है जहां भी बीजेपी है. इसके अलावा वल्लभनगर जाएंगे जहां कांग्रेस के विधायक हैं. इस स्थिति को देखकर कह सकते हैं कि जहां कांग्रेस कमजोर पड़ रही है वहां दौरे हो रहे हैं. कांग्रेस इस 8 सीटों में कम से कम 6 पर तो कब्जा चाहती है. उदयपुर संभाग जनजातीय क्षेत्र है, जिसमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ तो पूर्ण टीएसपी क्षेत्र घोषित है. यहां बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. इन वोटर को लुभाने के लिए सीएम गहलोत लगातार ग्रामीण क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं. यहीं नहीं लोगों से खुद जाकर मिल रहे हैं और उनके घर खाना तक खा रहे हैं.
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डॉ. वर्तिका नन्दाजेल सुधारक, मीडिया शिक्षक और लेखिका
Opinion