Rajasthan News: सट्टा बाजार के लिए मशहूर फलोदी को सीएम गहलोत ने बनाया जिला, जानिए- क्या है इसका इतिहास?
rajasthan New District Phalodi: फलोदी का सट्टा बाजार अपने सटीक आकलन व भविष्यवाणी के लिए अलग ही पहचान रखता है. यहां किसी मवेशी की डिलीवरी, बारिश, गर्मी और सर्दी को लेकर भी सट्टा लगाए जाते हैं.
Rajasthan New Phalodi Dsitrcit: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने नए जिले बनाने की लंबे समय से चली आ रही मांग के बीच राजस्थान (Rajasthan) में 19 नए जिले और 3 नए संभाग की घोषणा करके सभी को चौंका दिया. प्रदेश में अब 33 की जगह 50 जिले हो चुके हैं. वहीं, 7 की जगह अब 10 संभाग हो गए हैं.
वहीं, जोधपुर जिले को तीन भागों में बांट दिया गया. जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम और फलोदी को जिला बनाया गया है. आइए हम आपको बताते हैं कि फलोदी को जिला क्यों बनाया गया, फलोदी किस चीज के लिए देश और दुनिया में मशहूर है.
बात-बात पर लोग लगाते हैं सट्टा
दरअसल, देश-दुनिया में फलोदी सट्टा बाजार के लिए प्रसिद्ध है. फलौदी का सट्टा बाजार अपने सटीक आकलन व भविष्यवाणी के लिए अलग व खास पहचान रखता है. इस शहर की खासियत ये है कि सुबह होते ही रौनक से भर जाता है. यहां के लोग छोटी-छोटी बातों पर भी यहां के लोग सट्टा लगा लेते हैं.
देश-दुनिया के सभी सटोरियों की नजरें फलौदी के सट्टा बाजार पर बनी रहती है कि फलोदी का सट्टा बाजार किस ओर जा रहा है. किस चुनाव में कौन सी पार्टी जीत रही है. यहां के सट्टा बाजार में लोकसभा या किसी विधानसभा चुनाव में किस सीट पर जीत और हार पर दांव लगाए जा रहे हैं. दरअसल, चुनावों को लेकर फलौदी के सट्टा बाजार के सटोरियों की और से हमेशा सटीक भविष्यवाणी की जाती है. यहां किसी मवेशी की डिलीवरी, बारिश, गर्मी और सर्दी को लेकर भी सट्टा लगाए जाते हैं.
1977 से हो रही थी फलोदी को जिला बनाने की मांग
फलोदी को जिला बनाने की मांग 1977 में बीजेपी के पूर्व विधायक व स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत बालकृष्ण थानवी (लालजी थानवी) ने सबसे पहले की थी. इस दौरान कई बार आंदोलन और भूख हड़ताल भी किए गए. बाद में फलोदी को जिला बनाने के आंदोलन की बागडोर बीजेपी विधायक पब्बाराम विश्नोई, प्रकाश छंगाणी, पूर्व विधायक ओम जोशी व अन्य क्षेत्रीय नेता प्रवासी संगठन वह संघर्ष समिति ने आगे बढ़ाया. फलोदी में एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब, नमक का उद्योग, सरसो, मूंगफली, अनाज मंडी है. इसके साथ ही फलोदी में बड़े लेवल पर इंडस्ट्रीज स्थित है.
500 साल पुराना है फलोदी का मंदिर
भारतीय जनता पार्टी के फलोदी विधायक पब्बाराम विश्नोई ने बताया कि उन्होंने अपने 9 साल के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में 15 बार फलोदी को जिला बनाने को लेकर मांग की थी. उन्होंने बताया कि भारत-पाकिस्तान के सीमा के पास बसा फलोदी विभाजन से पहले व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण हुआ करता था. बताया जाता है कि सिंधु से सिद्धू जी कला अपने साथ भारी लाजमी लेकर फलोदी पहुंचे थे. उस लवाजमें में सैकड़ों परिवार शामिल थे. सभी लोग फलोदी आकर रुके और इस जगह का नाम फल वृद्धिका रखा, जो धीरे-धीरे उच्चारण में बदलाव के कारण फलोदी हो गया. सिद्धू जी कल्ला अपने साथ मां लटियाल माता की प्रतिमा लेकर आए थे. फलोदी में मां लटियाल माता की प्रतिमा को स्थापित किया गया. यह मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है.
यहीं छुपकर हिमायूं ने बचाई थी जान
समाजसेवी व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुंभ सिंह पातावत ने बताया कि फलौदी के महाराजा हमीर सिंह की नगरी भी कहा जाता था. महाराजा हमीर सिंह नरावत राठौड़ के वंशज थे. उन्होंने फलोदी में एक किला बनवाया था, जो करीब 370 साल पुराना बताया जा रहा हैं. इस किले से कई घटनाओं व शौर्य से जुड़े इतिहास हैं. स्थानीय दंत कथाओं में यह भी जिक्र है कि हुमायूं ने इस किले में कई दिनों तक छुपकर अपनी जान बचाई थी.
ये भी पढ़ेंः Rajasthan News: राजस्थान पुलिस को मिले 35 नए RPS अफसर, दीक्षांत परेड का CM अशोक गहलोत ने किया निरीक्षण