Rajasthan News: एक ओर प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अंग्रेजी स्कूल खोल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कम नामांकन वाली सरकारी स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी हो रही है. जिन स्कूलों में एक से 25 तक नामांकन है, उन स्कूलों को सरकार जल्द ही मर्ज करने वाली है. बीकानेर शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए सभी जिलों से सूचनाएं मांगी है. इस फैसले को लेकर सांसद किरोड़ी लाल मीणा समेत शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जताई है.


10 हजार से अधिक स्कूलों पर संकट
प्रदेश में अधिकांश स्कूल ऐसी हैं, जिनमें छात्र-छात्राओं का नामांकन बेहद कम है. ऐसी ज्यादातार स्कूलें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. अभी दस हजार से अधिक स्कूलें ऐसी हैं, जिनमें 1 से 25 तक ही नामांकन है. नई योजना के तहत इन सभी स्कूलों को मर्ज किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो स्कूलों के साथ शिक्षकों के पद भी खत्म किए जाएंगे.


घट सकता है शिक्षा का स्तर
गांवों में कम नामांकन वाली स्कूलों को मर्ज करने पर ग्रामीण बच्चों को बड़ी स्कूल में अध्ययन के लिए गांव से दूर जाना होगा. कई गांवों में आवागमन का साधन नहीं होने से बच्चों का स्कूल जाना संभव नहीं हो सकेगा. ऐसे में बच्चे स्कूल नहीं जा सकेंगे और उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी. बच्चों के ड्रॉपआउट होकर शिक्षा से वंचित होने से गांवों में शिक्षा का स्तर घटेगा.


सांसद मीणा ने जताई नाराजगी
सरकारी स्कूलों को लेकर किए गए फैसले पर बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने गहलोत सरकार पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि राजस्थान में शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित है. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं. शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही. बच्चों का भविष्य अंधकार में है. प्रदेश सरकार ने विद्या संबल योजना के तहत 93000 शिक्षकों की भर्ती अटका दी है.


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