Rajasthan News: कोटा में चंबल रिवर फ्रंट (Kota Chambal River Front) पर लगाने के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार दुनिया की सबसे बड़ी घंटी बनवा रही है. जयपुर के इंजीनियर प्रांजल कटारा ने 30 फीट ऊंची और 27 फीट व्यास वाली बेल का मास्टरपीस 3डी तकनीक से तैयार किया है. 57,000 किलोग्राम की बेल को तैयार करने में छह महीने का समय लगा. जयपुर में तैयार 8-10 हजार किलोग्राम वजनी मास्टरपीस को कोटा भेजा जा रहा है. कोटा चंबल रिवर फ्रंट पर घंटी अप्रैल या मई महीने तक लग जाएगी. प्रांजल ने बताया कि हम चंबल रिवर फ्रंट कोटा के लिए सबसे बड़ी बेल पर काम कर रहे हैं. बेल निर्माण प्रक्रिया में पांच चरण शामिल हैं.


सबसे बड़ी घंटी का निर्माण


3डी सीएडी मॉडलिंग, 3डी सीएडी विश्लेषण, अनुमोदन के लिए मिनी 3डी प्रिंट बैल मॉडल, 3डी प्रिंटिंग के साथ बेल फैब्रिकेशन, असेंबली और पोस्ट प्रोसेसिंग हैं. अतिरिक्त ताकत के लिए उत्कृष्ट कलाकृति को धातु फ्रेम और शीसे रेशा मैट के साथ मजबूत किया गया है. प्रांजल ने बताया कि मास्टरपीस को समय-सीमा में पूरा करने के लिए हमने 24 घंटे सातों दिन काम किया.


प्रांजल के मुताबिक, 3डी प्रिंटेड मास्टरपीस को बिना किसी विकृत कास्टिंग के लिए 2-3 बार उपयोग किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि सिंगल मेटल बेल की खासियत है कि सामान्य व्यक्ति चेन की मदद से बजा सकेगा और घंटी की आवाज 8 किलोमीटर तक सुनी जाएगी. विशालकाय घंटी गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी स्थान पाएगी. प्रांजल ने बताया कि हमने गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में आवेदन भेज दिया है. उम्मेदन है आवेदन पर जल्द स्वीकृति मिल जाएगी. 


क्या है 3डी प्रिंटिंग तकनीक ?


3डी प्रिंटिंग डिजिटल मॉडल फाइल से एक भौतिक वस्तु बनाती है. हर तकनीक एक संपूर्ण वस्तु बनाने  के लिए परत दर परत सामग्री जोड़कर काम करती है. 3डी प्रिंटिंग अनुप्रयोगों में शिक्षा से लेकर उद्योग तक के विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं. उदाहरण के लिए, वास्तुकला और निर्माण, कला और डिजाइन, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा, खाद्य उद्योग, फैशन, यांत्रिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स, मोटर वाहन और एयरोस्पेस में 3डी प्रिटिंग का इस्तेमाल किया जाता है. 


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