Ghulam Nabi Azad Resignation: गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद को परेशान कर रखा था तो वहीं संदीप दीक्षित ने कहा कि पार्टी में सुधार की मांग की गई थी, बगावत नहीं. 


अब राजस्थान में कांग्रेस के सीएम अशोक गहलोत ने आजाद के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया दी है. गहलोत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जो टिप्पणियां की गई हैं वो उचित नहीं है। मैं खुद सदमे में हूं कि एक 42 साल का व्यक्ति जिसे जिंदगी में सब कुछ मिला हो वो आज ऐसे संदेश दे रहें जो मेरे समझ के परे हैं. गहलोत ने कहा कि आजाद की पहचान कांग्रेस के कारण है. मैं गुलाम नबी आजाद की भावना को सही नहीं मानता हूं. वह 42 साल तक बिना पद के नहीं रहे,.


असम के मुख्यमंत्री और आनंद शर्मा ने कही ये बात
आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि  हम कमजोर होते जा रहे है. ये हमारे लिए चिंता की बात है.  मैं कैडर से बोलता हूं आपलोग एक रहिए. इसके अलावा कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने गुलाम नबी आजाद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी के हाथों में आजाद का रिमोट कंट्रोल है. राज्यसभा नहीं मिलने के कारण इस्तीफा दिया.


वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- गुलाम नबी आजाद और मेरे लिखे गए (इस्तीफे) पत्र में काफी समानता हैं. सबको पता है कि राहुल गांधी अपरिपक्व और अप्रत्याशित नेता है. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अब तक बस अपने बेटे को ही आगे बढ़ाने का काम किया है जो अब तक विफल रहा है. उन्होंने कहा- इस वजह से जो नेता पार्टी के लिए वफ़ादार थे वह पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. मैंने 2015 में ही कहा था कि कांग्रेस में सिर्फ गांधी रह जाएंगे... राहुल गांधी बीजेपी के लिए वरदान हैं. जब लोग राहुल गांधी से हमारे नेताओं की तुलना करते हैं तो वैसे ही हम आगे हो जाते हैं


आजाद ने लगाए ये आरोप
महाराष्ट्र से कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मैंने गुलामनबी आजाद का पत्र पढ़ा. पत्र में जिन बातों का ज़िक्र किया है वो बहुत ही गंभीर है. 2 साल पहले हमने गोपनीय पत्र लिखा है उस समय हमने कहा था की अध्यक्ष फुल टाईम का होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे सीनियर लीडर ने पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है. पार्टी को आत्मपरीक्षण करने की आवश्यकता है.


वहीं गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के बाद पार्टी नेतृत्व पर आरोप लगाया कि नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर में मेरे बनाए ढांचे को फूट डालो और राज करो की नीति के तहत तोड़ने की कोशिशें की.


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