(Source: Poll of Polls)
Rajasthan: केंद्र सरकार पर भड़के सीएम गहलोत, Electoral Bonds को बताया आजाद भारत का 'सबसे बड़ा घोटाला'
Rajasthan News: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बांड (Electoral Bond) को लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
CM Ashok Gehlot On Electoral Bond: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने चुनावी बांड (Electoral Bond) की 19वीं किश्त जारी करने को मंजूरी दी है. ये चुनावी बॉन्ड एक जनवरी से 10 जनवरी तक बिक्री के लिए खुले रहेंगे. इसे लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए घोटाले का आरोप लगाया है. जयपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि "इलेक्टोरल बॉन्ड आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है. इस घोटाले के लिए NDA गवर्नमेंट ने ऐसा तरीका निकाला जिससे किसी पर ब्लेम भी न आए. एक ऐसा स्कैंडल जो संस्थागत कर दिया गया, ऐसा हिस्ट्री में पहले कहीं हुआ नहीं होगा जो इन्होंने काम किया है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाते हुए कहा - ''सुप्रीम कोर्ट में भी कह रहे हैं कि हमने सही काम किया है, जबकि 95 परसेंट से ज्यादा पैसा BJP को मिल रहा है, बाकी पार्टियों को कोई पैसा नहीं मिल रहा है. तमाम उद्योगपति डरे हुए हैं इसलिए वो चुपचाप इलेक्टोरल बॉन्ड दे रहे हैं. कोई पूछने वाला नहीं, कोई रिकॉर्ड में नहीं सोच-समझकर लॉन्ग टर्म प्लानिंग के आधार पर पूरी तरह ये स्कैंडल किया गया है. मैंने जोधपुर में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और राष्ट्रपति के सामने इस बात को उठाया था, बार-बार उठाते हैं लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. अब ज्यूडीशियरी क्या फैसला करती है वो देखने वाली बात है."
सुप्रीम कोर्ट 6 दिसंबर को करेगा फैसला
देश में राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये वित्तीय मदद दी जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इसे लेकर जांच करेगा. सुप्रीम कोर्ट 6 दिसंबर को जांच करने के बाद इस बारे में फैसला लेगा कि मामले को बड़ी बेंच को सौंपा जाए या नहीं. कोर्ट में दायर जनहित याचिका (PIL) में मामले को बड़ी बेंच को सौंपे जाने की मांग की गई है.
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना?
योजना के प्रावधानों के अनुसार, वह व्यक्ति चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है जो भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो. एक व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से भी चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. केवल वे राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने के पात्र हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं और जिन्होंने पिछले आम चुनाव या राज्य की विधानसभा के मतदान में कम से कम एक प्रतिशत मत प्राप्त किए हैं.
अधिसूचना के अनुसार, पात्र राजनीतिक पार्टी अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से चुनावी बॉन्ड को भुना सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 में केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना 2018 पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि वह याचिकाओं पर गहन सुनवाई करेगी. केंद्र और चुनाव आयोग ने पहले राजनीतिक चंदे को लेकर अदालत में विपरीत रुख अपनाया था.
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