Rajasthan News: राजस्थान के उदयपुर शहर को एक बड़ी सौगात मिलने वाली है, जिसकी पिछले कई वर्षों से राह देखी जा रही थी. अब उदयपुर के लाखों शहर वासियों को 12 माह तक पीने का पानी और 12 माह तक पर्यटकों को लबालब भरी झीलें दिखेगी. इसके लिए सीएम भजनलाल शर्मा और असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया उदयपुर में एक बड़े बांध का शिलान्यास करने वाले हैं. इसकी घोषणा पिछली गहलोत सरकार के बजट में हुई थी.
दरअसल राज्य सरकार की ओर स्वीकृत देवास परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण से उदयपुर शहरवासियों की दशकों तक प्यास बुझाई जा सकेगी. प्रदेश के जल संसाधन विभाग के मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने उदयपुर वासियों की आगामी दशकों में पेयजल आपूर्ति मांग को मद्देनजर रखते हुए देवास परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण को स्वीकृत किया है, जिसका शिलान्यास होगा.
क्या है देवास परियोजना?
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि शहर की तत्कालीन पेयजल आपूर्ति मांग सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1973-74 में देवास- प्रथम (गोराणा बांध) का निर्माण किया गया, जिसकी सकल क्षमता 120 एमसीएफटी है. वर्ष 2011 में उदयपुर शहर की पेयजल मांग अनुसार देवास द्वितीय परियोजना की परिकल्पना की गई.
देवास द्वितीय परियोजना के अन्तर्गत ही मादड़ी बांध कुल क्षमता 85 एमसीएफटी का निर्माण किया गया. इससे निकलने वाली 1.21 किलोमीटर की सुरंग को आकोदडा बांध की मुख्य सुरंग से जोडा गया. देवास द्वितीय के जिसके अंतर्गत 302 एमसीएफटी क्षमता का आकोदडा बांध का निर्माण किया गया.
इससे 11.05 किलो मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण कर बांध से उदयपुर शहर की पिछोला झील में 550 एमसीएफटी वार्षिक जल अपवर्तन की योजना बनाई गई. उक्त परियोजना वर्ष 2015 मे पूर्ण कर ली गई.
यह सभी बांध उदयपुर शहर से सटे पहाड़ी क्षेत्र में है जहां बारिश का पानी एकत्र होता है और पिछोला झील में आता है. इसी झील से शहर की प्यास बुझती है.
देवास परियोजना में अब आगे क्या होगा?
जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग के अनुसार वर्ष 2031 की उदयपुर शहर की जनसंख्या 875874 तक होने संभावित है, जिसके अनुसार कुल 2397 एमसीएफटी वार्षिक पेयजल मांग के विपरीत 1738 एमसीएफटी वार्षिक पेयजल ही उपलब्ध है. जनसंख्या वृद्धि की गणना के अनुसार यह मांग वर्ष 2036 तक 2613 एमसीएफटी हो जाएगी.
भविष्य की पेयजल मांग की पूर्ति के लिए देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना तैयार की गई है. देवास तृतीय परियोजना के अन्तर्गत उदयपुर जिला के गोगुंदा तहसील के नाथिया थाल गांव के निकट 703 एमसीएफटी क्षमता का देवास तृतीय बांध का निर्माण करवाया जाएगा. इससे 11.04 लम्बी सुरंग का निर्माण कर देवास द्वितीय (आकोदडा बांध) में जल अपवर्तन किया जायेगा.
पूर्व निर्मित आकोदडा बांध एवं सुरंग से उदयपुर शहर की पिछोला झील में जल अपवर्तन होगा. देवास चतुर्थ परियोजना के अन्तर्गत गोगुन्दा तहसील के अम्बावा गांव के निकट 390 एमसीएफटी क्षमता का देवास चतुर्थ बांध का निर्माण कर इससे 4.3 किलो मीटर सुरंग का निर्माण कर, देवास तृतीय बांध से जोड़ दिया जाएगा.
जिससे जल देवास चतुर्थ बांध से देवास तृतीय बांध में अपतर्वन किया जा सकेगा और आवश्यकतानुसार देवास द्वितीय (आकोदडा बाँध) एव सुरंग के माध्यम से पिछोला झील में जल अपतर्वन किया जा सकेगा.
'44 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य'
मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना की अनुमानित लागत 1690.55 करोड़ है और 44 माह की समयावधि में पूर्ण करने का लक्ष्य है. इससे 1000 एमसीएफटी वार्षिक जल अपतर्वन उदयपुर शहर की झीलों में किया जा सकेगा. परियोजना की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से जारी हो चुकी है.