Kirori Singh Bainsla Passes Away: राजस्थान के गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का आज निधन हो गया है. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उन्होंने आज मणिपाल अस्पताल में अंतिम सांस ली. बैंसला राजस्थान में गुर्जर आंदोलन का एक बड़ा चेहरा थे और इस आंदोलन को लेकर देश-दुनिया में चर्चा में भी रहे थे. बड़ी बात यह है कि उनके एक इशारे पर गुर्जर समाज एकजुट हो जाता था. बैंसला की ताकत इतनी थी कि उनके एक इशारे पर पूरा राजस्थान रूक जाता था. वसुंधरा राजे से लेकर अशोक गहलोत सरकार तक उनकी ताकत का अहसास राजस्थान में कई बार कर चुके हैं.


बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों का आंदोलन 
सेना से रिटाटर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के अधिकारों की बात उठाने लगे. उनके नेतृत्व में 2007 में राजस्थान में गुर्जरों ने बड़ा आंदोलन किया था. यह आंदोलन गुर्जरों को राजस्थान में आरक्षण दिलाने के लिए किया गया था. इस आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शन भी हुए जिसके चलते सरकार को भी झुकना पड़ा था. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख थे. आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर बैंसला पर कई तरह के आरोप भी लगे. गुर्जर आरक्षण आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है.


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भारत-पाक युद्ध में बहादुरी का परिचय दिया
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ हो गया. उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. बैंसला शुरूआती दौर में सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए. बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए जहां उन्होंने सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी का परिचय दिया.


सिपाही से कर्नल रैंक तक पहुंचे
किरोड़ी सिंह बैंसला एक समय में पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे हैं. कहा जाता है कि उन्हें दो उपनामों से भी जाना जाता है. सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर की चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कहते थे. सेना में एक सिपाही के तौर पर शुरुआत करने वाले बैंसला कर्नल की रैंक तक पहुंचे. बैंसला के चार बच्चे हैं. उनकी एक बेटी रेवेन्यु सर्विस में, दो बेटे सेना में और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है. बता दें कि बैंसला की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है और वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे. 


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