Rajasthan Congress Crisis: गहलोत-पायलट के बीच 9 वीं बार युद्व विराम का एलान, लेकिन दोनों ही रहे चुप, केवल मुस्कान आई बाहर
Rajasthan Congress News: साल 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब तक 9 बार कांग्रेस हाईकमान, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच युद्ध विराम करा चुका है.
Rajasthan Politics: राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राज्य इकाई में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रही तनातनी पर लगाम लगाने की कोशिश की है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने सोमवार को करीब 4 घंटे की मीटिंग की. इस मीटिंग के बाद जब सभी नेता बाहर आए और मीडिया से मुखातिब हुए तो सिर्फ केसी वेणुगोपाल ने ही पत्रकारों से वार्ता की. पत्रकारों ने सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट, दोनों से सवाल पूछे लेकिन दोनों चुप रहे और सिर्फ मुस्कुराते रहे.
दीगर है कि साल 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब तक 9 बार कांग्रेस हाईकमान, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच युद्ध विराम करा चुका है लेकिन कुछ समय बाद फिर से हालत बिगड़ जाते हैं. हालांकि इस बार पार्टी का दावा है कि ऐसा नहीं है.
गहलोत और पायलट समर्थकों में उम्मीद जगी
उधर, दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों के समर्थकों में उम्मीद जगी है. हालांकि वो अभी तक असमंजस में हैं कि पार्टी ने किस फार्मूले के तहत गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराई है. समझौते के आधार से जुड़े सवालों पर सोमवार को केसी वेणुगोपाल भी कोई जवाब देने से बचते रहे. यह पूछे जाने पर यह प्रस्ताव क्या है, वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘दोनों ने आलाकमान पर छोड़ दिया है. चुनाव में साथ में जाने का फैसला किया है और हम मिलकर लड़ेंगे और बीजेपी के खिलाफ जीत दर्ज करेंगे.”
इस बैठक को कांग्रेस नेतृत्व की ओर से राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच के विवाद को सुलझाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इस साल के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. सूत्रों का कहना है कि खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में गहलोत और पायलट के बीच सुलह के किसी फार्मूले पर सहमति बनाई गई है.
Rajasthan: राजस्थान में अशोक गहलोत- सचिन पायलट के बीच सुलह, फॉर्मूले पर सस्पेंस बरकरार
बता दें साल 2020 की जून में सचिन पायलट ने पहली बार बागी रुख अख्तियार किया था. उस वक्त बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई थी और पायलट को राज्य के डिप्टी सीएम और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी की मध्यस्थता के बाद पायलट माने थे.
भारतीय जनता पार्टी ने भी टिप्पणी की
इसके बाद फिर साल 2022 में जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव होने थे और उस रेस में अशोक गहलोत का नाम था, तब यह माना जा रहा था कि हाईकमान, सचिन पायलट को राज्य का सीएम नियुक्त कर सकता था. हालांकि तब भी ऐसा नहीं हुआ और उसके बाद से ही पूर्व डिप्टी सीएम, सीएम के खिलाफ मुखर हो गए थे.
उधर, गहलोत और पायलट के बीच कलह पर भारतीय जनता पार्टी ने भी टिप्पणी की है. राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर कहा- "मैं तो वोही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल" किस्सा कुर्सी के खेल का खिलौना किसको मिलेगा, यह दूर की कौड़ी है . नौंवी बार फिर उसी भाव भंगिमा में दोनों नेता. वो ही आलाकमान, वो ही किरदार और हर बार की तरह इस बार भी नतीजा शून्य ही आएगा क्योंकि कांग्रेस के इन दोनो नेताओं में जारी मनभेद का कोई इलाज आलाकमान के पास भी नहीं है. हर बार की भांति इस बार भी दोनों नेताओं के खिलखिलाते चेहरों के पीछे का असली रंग चुनाव के नजदीक आते साफ दिख जाएगा.