Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस (Congress) में जो हो रहा है वो सबके सामने है. इस पूरे प्रकरण में एक व्यक्ति हैं सुखजिंदर रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) इनपर सबकी नजरें टिकीं है. क्या रंधावा कोई हल निकाल पाएंगे ? क्या वो सचिन पायलट (Sachin Pilot) के अनशन के बाद का दवाब कम कर पाएंगे ? क्या उनके पास दोनों तरफ के लोगों को शांत और संतुष्ट कर सकने की कोई योजना है ? इन तमाम सवालों का जवाब रंधावा के द्वारा ही मिल पाएगा.
सुखजिंदर रंधावा जब राजस्थान के प्रभारी बने तब उस दौरान उन्हें राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में कई जिलों में चलने का अवसर मिला. लगभग-लगभग उनकी सहभागिता यहां की यात्रा में ठीक-ठाक रही. उन्हें सबकुछ देखने और समझने का अवसर मिला. उन्हें जिन परिस्थितियों में राजस्थान में आने का मौका मिला उस समय हालात तनावपूर्ण थे. मगर वो दिख नहीं रहे थे. भारत जोड़ो के दौरान या उसके बाद एक गुट को उम्मीद और आस दोनों थी कि कुछ न कुछ बड़ा बदलाव हो जाएगा.
क्या हो सकती है रणनीति ?
तीन नेताओं को जो नोटिस दिया गया था. उनपर कोई न कोई कार्रवाई हो जाएगी. मगर न तो हल निकला और न ही कोई कार्रवाई हुई. इसका असर यह हुआ कि रंधावा की बातों का असर ही कम दिखने लगा. उनके सामने ही एक-दो बार हंगामा भी हुआ है. उन्होंने कई बार सबके सामने भी कुछ को फटकार भी लगाई है. मगर ये सब बेअसर रहा है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जैसे ही 11 अप्रैल को अनशन पर जाने को घोषणा की तभी से कांग्रेस में हलचल तेज हो गई. उसके बाद आलाकमान ने प्रभारी रंधावा को एक्टिव कर दिया है. अब रंधावा जयपुर में है. क्या सचिन के मंच पर जाएंगे ? क्या फोन से ही बात करेंगे ? या कोई और रणनीति होगी. सबकी नजर टिकीं हुई है.
अजय माकन के बाद मिली जिम्मेदारी
राजस्थान में अविनाश पांडे के जाने के बाद अजय माकन को जिम्मेदारी मिली. उनके रहने के बाद भी यहां पर बवाल मचा रहा . शांति नहीं बन पाई. फिर बीच में उन्हें भी हटना पड़ा. अब पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा को जब यहां पर प्रभारी बनाया गया तो सबकी नजर इन पर टिकी है. मगर क्या ये कोई बड़ा और ठोस हल निकाल पाएंगे ? पास होंगे या फेल ? यह सब जल्द ही दिख जाएगा.