Rajasthan Politics: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की दूरियां खत्म करना चाहती है. इस बाबत सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मुलाकात होगी. खरगे दोनों नेताओं से अलग-अलग मुलाकात करेंगे. यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों से मुलाकात के बाद मल्लिकार्जुन खरगे क्या फैसला लेते हैं. इतना ही नहीं खरगे के फैसले की ओर राजस्थान कांग्रेस के नेता भी उम्मीद भरी निगाह से देख रहे हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत और पायलट के बीच सुलह का फार्मूला तैयार कर लिया है. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद पर जहां अशोक गहलोत बने रहेंगे वहीं उनके विश्वस्त गोविंद सिंह डोटासरा को राज्य का नया डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. इसके अलावा सचिन पायलट को एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है.
सुलह का यह फार्मूला इतना आसान नहीं...
हालांकि राजनीतिक हलकों में एक वर्ग का यह भी मानना है कि सुलह का यह फार्मूला इतना आसान नहीं होगा. दीगर है कि साल 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के लिए जब सीएम अशोक गहलोत का नाम रेस में आया तो माना जा रहा था कि अब सचिन पायलट राज्य के नए सीएम होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत के तहत कांग्रेस चाहती थी कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करें. उधर, सचिन पायलट को लेकर भी उनके समर्थकों में भी उम्मीदें जग गईं थीं कि अब वह सीएम होंगे लेकिन गहलोत ने अध्यक्ष पद के मुकाबले राज्य का सीएम बने रहना ज्यादा उचित समझा.
इसी मामले को लेकर जब विधायकों की बैठक आहूत की गई तो वह भी नहीं हुई. राजनीतिक जानकारों का दावा था कि इसमें एक लाइन का प्रस्ताव पास होना था जिसमें अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद के लिए समर्थन और फिर सचिन पायलट को सीएम बनाने की बात होनी थी. बैठक न होने के बाद सचिन पायलट खासे नाराज हुए और तत्कालीन कांग्रेस हाईकमान ने राज्य सरकार के मंत्रियों को नोटिस भी जारी किए और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी. लेकिन ये सब बातें, आई... गईं और कुछ नहीं हुआ. इसको लेकर सचिन पायलट आज भी गाहे-बगाहे गहलोत और उनके समर्थकों पर निशाना साधते रहते हैं. पायलट का आरोप है कि विधायकों की बैठक न करा कर सोनिया गांधी का अपमान किया गया. वहीं अशोक गहलोत इस पर बोलने से बचते नजर आते हैं.
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उधर सूत्रों का दावा है कि पायलट को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद देने, आगामी चुनावों में प्रत्याशियों के चयन को लेकर छूट जैसे फार्मूले पर सुलह का पुल तैयार किया जा सकता है. सूत्रों का दावा है कि हाईकमान ने ऑफर दिया है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो पार्टी दो डिप्टी सीएम नियुक्त करेगा, जिसमें से एक पायलट खेमे का होगा. हालांकि इस पर पार्टी का एक गुट नाराज है. दूसरे गुट का कहना है कि ऐसा होने पर पायलट, मनमानी कर सकते हैं. ऐसे में झगड़ा सुलझने के बजाय और ज्यादा बढ़ जाएगा. चुनाव के दौरान या चुनाव के बीच ऐसी किसी परिस्थिति से पार पाना पार्टी के लिए मुश्किल हो सकता है.
दीगर है कि है कांग्रेस के नेता आगामी विधानसभा चुनाव में किसी कलह की स्थिति में नहीं जाना चाहते हैं. उनका मानना है कि ऐसा न हो कि पार्टी एक ओर चुनाव में पूरी ताकत झोंक दे और दूसरी ओर पार्टी के ही नेता अपनी सरकार के खिलाफ विरोध का सुर जारी रखें. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व, सुलझे हुए फार्मूले के तहत गहलोत और पायलट के बीच झगड़े को खत्म करने की हर कोशिश करेगा.